क्या कहूँ लग रहा है आप सब मुझ पर पढ़कर शायद हसेंगे कि यह क्या कुछ भी लिख दिया है। मगर क्या करूँ जो महसूस किया उसे लिखे बिना रह भी नहीं सकती।
लाल मिर्च और नमक आपस में
मिल कर बने एक मसाला
कभी इस मसाले को खाया है
संतरे या मौसमी के साथ
या फिर सूखे हुए बेर या इमली के साथ
कितना मज़ा आता है ना चटपटा स्वाद
जैसे अंदर तक एक स्फूर्ति सी भर देता है
फलों के साथ फलों का रस बढ़ाता सा मसाला
खाने मे स्वाद भी लाता है यही एक मसाला
कभी-कभी बहुत सी बातों में भी जान डाल देता है
यही एक मसाला
कभी सोचा है यदि सारे मसालों में
यह दोनों ही ना हों तो भला
क्या स्वाद रह जायेगा किसी भी खाने में
सब कुछ फीका बेस्वाद, बेजान सा खाना
और तब न उस खाने में होगा
कोई रूप, न रंगत, न निखार
जैसे हो कोई मरीजों का खाना
फिर एक पल एक खयाल आया
ज़िंदगी भी तो एक पकवान की तरह ही है न
अगर इसमें भी न हों सुख-दुख के खट्टे मीठे
अनुभव या संघर्ष और सफलता या असफलता का कोई स्वाद
तो भला कितने बेस्वाद सी होगी न
यह ज़िंदगी, उसमें भी किसी बेजान
से खाने की तरह न कोई रंग होगा
न स्वाद ,न रंगत ,न निखार
बस एक मरीज के खाने सी
बेस्वाद सी बिना नमक मिर्च की ज़िंदगी
जैसे ज़िंदगी-ज़िंदगी नहीं मजबूरी हो कोई
जिसे बस जीने के लिए जीना हो एक बार .....
masaledar rachna............
ReplyDeleteबढ़िया है ..चटपटी जिंदगी :)
ReplyDeleteसही बात है मसालेदार और चटपटे खाने का तो मजा ही अलग है ....
ReplyDeleteमस्त मसालेदार , चटपटी रचना...
अनुभव या संघर्ष ,
ReplyDelete"और"
सफलता या असफलता का कोई न स्वाद ,
तो भला कितने बेस्वाद सी होगी न ,
यह ज़िंदगी.... !
ज़िंदगी-ज़िंदगी नहीं , मजबूरी हो कोई.... !!
सहीं लिख दिया है.... :):)
वाह!!!!!बहुत बेहतरीन मसाले दार रचना,लाजबाब प्रस्तुति,
ReplyDeleteNEW POST...काव्यान्जलि ...: बोतल का दूध...
खट्टा, मीठा, तीखा , हर स्वाद लिए ज़िन्दगी, बढ़िया लिखा है.....
ReplyDeleteबेस्वाद सी बिना नमक मिर्च की ज़िंदगी
ReplyDeleteजैसे ज़िंदगी-ज़िंदगी नहीं मजबूरी हो कोई
जिसे बस जीने के लिए जीना हो एक बार .....
वाह! मिर्च मसाले को जिन्दगी के साथ खूबसूरती से जोड़ दिया...
मसाला जरूरी है ....
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
मसालों में बढ़िया जीवन दर्शन.........
ReplyDelete:D
ReplyDeletemasaale bina jaise khaana swaad nahi lagta.. kuch waisa hi haal zindagi ka bhi hai.. :)