Wednesday 22 July 2020

हम तुमको ना भूल पाये हैं ~


बहुत उदास शामें है इन दिनों
मायूसियों के साये है
फिर भी हम तुम को ना भूल पाए है
है फ़िज़ा इन दिनों कुछ ज्यादा ही ग़मगीन
के हो रहा है रुखसत हर रोज़ कोई अपना ही मेहजबीन
गर, घर खुदा का भी है तो क्या हुआ
हो रहा है दर्द के दिल है गम से फटा हुआ
जनाज़ों की बस्ती है पर किसी के ना सरमाये है
हम फिर भी तुम को ना भूल पाये हैं....पल्लवी

Thursday 16 July 2020

~चिराग~



चंद उदास शामें है और चंद स्याह रातें
चारों ओर एक अजीब सी खामोशी पसरी है
न पंछियो का कोई शोर है ना
पार्क में खेल रहे बच्चों की कोई चहचाहट
बस चंद मानसून की बारिशें है
और कुछ तुम्हारी बे पनहं मुहोब्बत
पर, ढूंढने पर भी एक खुशी का मोती नही मिलता
इस ग़म के सागर में गोते लगते बार बार
जहां देखो बस एक विलाप है
जिसके हैं अनगिनत आधार
आखिर क्यों चले गए तुम
यह दुनिया छोड़कर मेरे यार
अब तुम्हारे बिना यह जिंदगी है
महज़ एक जलता हुआ चिराग....