चंद उदास शामें है और चंद स्याह रातें
चारों ओर एक अजीब सी खामोशी पसरी है
न पंछियो का कोई शोर है ना
पार्क में खेल रहे बच्चों की कोई चहचाहट
बस चंद मानसून की बारिशें है
और कुछ तुम्हारी बे पनहं मुहोब्बत
पर, ढूंढने पर भी एक खुशी का मोती नही मिलता
इस ग़म के सागर में गोते लगते बार बार
जहां देखो बस एक विलाप है
जिसके हैं अनगिनत आधार
आखिर क्यों चले गए तुम
यह दुनिया छोड़कर मेरे यार
अब तुम्हारे बिना यह जिंदगी है
महज़ एक जलता हुआ चिराग....
बेशक बेहतरीन
ReplyDeleteदोस्त चले जाते हैं, बस यादें रह जातीं हैं..!
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteभावुक रचना
ReplyDeleteकिसी के अमिट याद को दर्शाती हैं
ReplyDeletehttps://yourszindgi.blogspot.com/2020/07/blog-post.html?m=0
लाजवाब !
ReplyDelete- रेखा श्रीव
आप सभी का आभार सहित धन्यवाद 🙏🏼
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