बहुत उदास शामें है इन दिनों
मायूसियों के साये है
फिर भी हम तुम को ना भूल पाए है
है फ़िज़ा इन दिनों कुछ ज्यादा ही ग़मगीन
के हो रहा है रुखसत हर रोज़ कोई अपना ही मेहजबीन
गर, घर खुदा का भी है तो क्या हुआ
हो रहा है दर्द के दिल है गम से फटा हुआ
जनाज़ों की बस्ती है पर किसी के ना सरमाये है
हम फिर भी तुम को ना भूल पाये हैं....पल्लवी
वाह....लाजवाब!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDelete- रेखा
बढ़िया
ReplyDeleteSame Day Delivery
ReplyDeleteOnline Gifts Delivery
Order Cakes Online
send gifts delivery online
ReplyDelete