बिकुल खरपतवार की तरह होती हैं औरतें
जरा प्यार भर जल मिला नहीं,इनके प्यार से भरी जडे
कि क्या जान और क्या बेजान
सभी को अपने मोह पाश में बाँध
फिर बहुत सताती हैं, यह औरतें
घर छूट जाता है घर वाले छूट जाते हैं
सभी से बेमेल रिश्तों को भी
बड़ी शिद्दत से निभाती हैं
यह औरतें,
बिलकुल किसी खरपतवार सी
हर जगह उग आती हैं यह औरतें
कभी बेटी, कभी बहन, कभी माँ,
तो कभी पत्नी बन
ना जाने क्या क्या सहती हुई भी
जी जाती हैं यह औरतें,
पैदा होते ही प्यार से प्यार निभाती हैं
तो कई बार
समाज के नाम पर
बली का बकरा बना
पेट में ही मार दी जाती हैं, यह औरतें
तो कभी चंद पैसों की खातिर
बेंची और खरीदी जाती है यह औरतें
इतना ही नहीं
हज़ारों बार टूटकर
किसी मसले हुए फूल की तरह
हर रोज़ पीसकर बेखर दीं जाती है, यह औरतें
फिर भी अपनों कि खातिर
अपने जिस्म का कतरा कतरा
बहाकर भी, अपने प्रेम को निभाती है यह औरतें
जीवन के इतने झंझवातों को
झेलकर भी
किसी जिजीविषा से कम नहीं होती यह औरतें
पूंजी होती हैं जीवन की,
समय आने पर
संजीवनी भी बन जाती हैं यह औरतें,
सच हर परिवार कि जड़ें
एक मजबूत नीव होती हैं यह औरतें
यह औरतें ना होती तो कुछ भी ना होता
जीवन का सार सुर संगीत भी ना होता
जीवन का हर रस पिलाती हैऔरतें
हर जगह उग आती हैं यह औरतें...
पल्लवी