अकेला खड़ा
वो देखा करता है रहा
आँखों में लिए चंद प्रश्न
कोई आकर क्यों पूछता नहीं
उसका मर्म
उसने वहाँ खड़े होकर
जन्म से मृत्यु तक का सफर देखा
सोखा है अंश ईश्वर की शक्ति
तो वहीं देखा है उसने बल भक्ति का
वो कहता है
कहीं ना कहीं हूँ मील का पत्थर मैं भी
कि यह उपलब्धि है मेरे समय काल की
यूँ तो एक पत्थर ही हूँ मैं
हाँ उस जगह का पत्थर
जिससे होती है पहचान भगवान की.....
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