कहते है प्यार अमर होता है
प्यार करने वाले खुद मिट जाते है
मगर उनका प्यार कभी नहीं मिटता
हो सकता है यही सच भी हो
वरना क्यूँ जपते लोग नाम
हीर राँझा ,या सोनी मिहिवाल का
अगले पिछले जन्म का तो पता नहीं
हमे तो आज में जीना है
क्यूंकि आज जो है वही सत्य है
और सत्य ही शिव है
लेकिन अगर सत्य ही शिव है
तो फिर वो शिव कि तरह
सुंदर क्यूँ नहीं होता
शिव जिनका न कोई आदि है ना अंत
बिलकुल प्रेम कि तरह
तो फिर सत्य क्यूँ
प्रेम की तरह कोमल नहीं होता...जैसे मेरे और तुम्हारे जीवन का यह एक कड़वा सच
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क्या हुआ जो, आज हम तुम साथ नहीं है
कभी तो साथ थे न हम
आज भी उन्हीं यादों के सहारे
गुजार जाएगी यह ज़िंदगी
न कभी मैं अकेली हो सकती हूँ
तुम्हारे बिना भी, और
न तुम ही कभी तन्हा हो सकते
हो मेरे बिना फिर हम चाहें न चाहें ....
मैं नहीं कहती की तुम बेवफा हो
और आज तुम जहां हो
उसके जिम्मेदार तो तुम खुद हो ,
क्यूंकि वक्त के हाथों फर्ज़ का हाथ
थमकर तो मैंने खुद बेफाई की तुमसे
और अब जब हम दोनों
की ज़िंदगी की राहें ही
अलग हो चुकी है
तो किसी को कोई हक ही कहा
रह जाता एक दूसरे को बेवफा कहने का
माना कि फर्ज़ की रहा में
मेरा कुछ फर्ज़ तुम्हारे लिए भी था
मगर शायद वो फर्ज़ उस
फर्ज़ से कम ही था जिसे निभाने के लिए
मैंने छोड़ दिया उसे
जो मुझे दिल से अज़्ज़िज़ था
जानते हो क्यूँ
क्यूंकि तुम से पहले अधिकार है
मुझ पर उनका जिन्होंने मुझे दिया
मेरा अस्तित्व तुम्हारी ज़िंदगी में आने के लिए .....
waah prem ki vivechana satyam shivam sundaram ke sath...bhut hi sunder...laazwaab...aakhir hum v to hai satyam shivam sundaram :)
ReplyDeleteसच्चा प्रेम दिल से होता है,उसमे दुसरे के लिए कोई जगह नही होती,
ReplyDeleteबहुत सुंदर लाजबाब प्रस्तुती .
MY NEW POST ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति । पहले विवेचना फिर अपने गहरे भाव रखने का बढ़िया अंदाज ।
ReplyDeleteआभार ।
man ke bhaav kahne ka baut priya andaaj.bahut achchi prastuti.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
ReplyDeleteसुंदर , गहरे भाव व्यक्त करती रचना...
ReplyDelete//माना कि फर्ज़ की रहा में
ReplyDeleteमेरा कुछ फर्ज़ तुम्हारे लिए भी था
मगर शायद वो फर्ज़ उस
फर्ज़ से कम ही था जिसे निभाने के लिए
मैंने छोड़ दिया उसे
जो मुझे दिल से अज़्ज़िज़ था
जानते हो क्यूँ
क्यूंकि तुम से पहले अधिकार है
मुझ पर उनका जिन्होंने मुझे दिया
मेरा अस्तित्व तुम्हारी ज़िंदगी में आने के लिए .....
pallavi ji.. dil ke aar paar nikal gai ye lines..
jise bhulaane ki koshish hai , yaad dila gai,,
रचना पसंद करने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया आदित्य जी और क्या कहूँ :)बस यूं ही संपर्क बनाये रखें...
DeleteBahut achhi rachana!
ReplyDeletejindagi yani prem...:)
ReplyDeletepyar... :))
माना कि फर्ज़ की रहा में
मेरा कुछ फर्ज़ तुम्हारे लिए भी था
मगर शायद वो फर्ज़ उस
फर्ज़ से कम ही था जिसे निभाने के लिए
मैंने छोड़ दिया उसे
जो मुझे दिल से अज़्ज़िज़ था
जानते हो क्यूँ
क्यूंकि तुम से पहले अधिकार है
मुझ पर उनका जिन्होंने मुझे दिया
मेरा अस्तित्व तुम्हारी ज़िंदगी में आने के लिए .....
khubsurat sach ko pyar se vivechit kiya gaya:))
आप सभी पाठकों का तहे दिल से शुक्रिया दोस्तों कृपया यूं हीं संपर्क बनाये रखें...आभार :-)
ReplyDeleteप्यार करने वाले खुद मिट जाते है , मगर उनका प्यार कभी नहीं मिटता.... !!
ReplyDeleteक्योकि.... ?
तुम से पहले अधिकार है , मुझ पर उनका जिन्होंने मुझे दिया ,
"मेरा अस्तित्व" तुम्हारी ज़िंदगी में आने के लिए.... !!
अनुभूति की अभिव्यक्ति खुबसूरत अल्फाजों में.... !!
अगले पिछले जन्म का तो पता नहीं
ReplyDeleteहमे तो आज में जीना है
क्यूंकि आज जो है वही सत्य है
....बहुत सार्थक अभिव्यक्ति..प्यार का सुंदर विवेचन..
गहरे जज्बात भरे है इन पंक्तियों में.सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteपुरवईया : आपन देश के बयार- कलेंडर
सुंदर प्रस्तुति...भाव को सहजता से उकेरती हुई|
ReplyDeletesundar abhivyakti..manmohak bhhavpurna rachna
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteऔर अब जब हम दोनों
ReplyDeleteकी ज़िंदगी की राहें ही
अलग हो चुकी है
तो किसी को कोई हक ही कहा
रह जाता एक दूसरे को बेवफा कहने का
hk akhiri sans tk rahata hai Pallvi ji .....ese gunahgar bhi janta hai aur peedit bhi ...filhal behad khoob soorat rachana ...badhai.
बहुत ही अव्छा लिखा है ...
ReplyDeleteकल 08/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, !! स्वदेश के प्रति अनुराग !!
धन्यवाद!
बहुत अच्छा...
ReplyDeleteसत्य भी..सुन्दर भी...
बहुत ही सुन्दर है आपकी यह प्रस्तुति.
ReplyDeleteसदा जी की हलचल में जड़ा अनुपम नगीना.
आपके लेखन का यह अंदाज निराला लगा.
बहुत बहुत आभार.
क्या बात है पल्लवी जी,आपने मेरे ब्लॉग को क्यूँ भुला दिया है?