Monday, 19 December 2011

ठंडक की तलाश ....


ज़िंदगी की तप्ति 
धूप में तप-तप कर 
जब थोड़ा सी ठंडक पाने 
की चाह में,  
कभी निकलती हूँ घर से 
तो सबसे पहले याद आता है
समंदर का वो किनारा 
जिसकी नम और ठंडी रेत
पर चलकर किए थे हमने  
कुछ वादे, वो इरादे
जिनमें गहराई थी कभी 
समंदर की तरह
जिसमें प्यार और विश्वास भी था 
समंदर की तरह जहां दूर... तक नज़र
डालने पर भी दिखाई देता था
सागर नुमा  
सिर्फ तुम्हारा गहरा प्यार
जिसमें उठती हुई
 तुम्हारे 
प्यार की ठंडी-ठंडी लहरें 
भिगो जाती थी मेरे 
अंतस को तुम्हारे प्यार से  
जिसका सागर ही, कि तरह 
कोई किनारा न था,
मगर अब सोचती हूँ, 
तो लगता है 
जैसे ज़िंदगी में उड़ती गरम हवाओं ने 
सुखा कर उस ठंडी रेत को 
बदल दिया है शायद,
रेगिस्तान की तप्ति 
रेत में 
जिसने सुखा दिया है 
अब शायद प्यार का वो 
गहरा सागर भी 
जैसे बंजर ज़मीन हो कोई 
जिसमें अब कोई जीवन सांस नहीं लेता ....  

    

11 comments:

  1. ज़िंदगी में उड़ती गरम हवाओं ने
    सुखा कर उस ठंडी रेत को
    बदल दिया है शायद,
    रेगिस्तान की तप्ति
    रेत में
    जिसने सुखा दिया है
    अब शायद प्यार का वो
    गहरा सागर भी
    जैसे बंजर ज़मीन हो कोई
    जिसमें अब कोई जीवन सांस नहीं लेता .... to talaash hai thandak kee , jo sukun de jaye - bahut badhiyaa

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  2. बेहतरीन अभिव्‍यक्ति
    कल 21/12/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, मेरी नज़र से चलिये इस सफ़र पर ...

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  3. अब शायद प्यार का वो
    गहरा सागर भी
    जैसे बंजर ज़मीन हो कोई
    जिसमें अब कोई जीवन सांस नहीं लेता ....
    jo panktiyan man ko bha gai.....
    wo ye hain...
    badhai

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  4. जिसने सुखा दिया है
    अब शायद प्यार का वो
    गहरा सागर भी
    जैसे बंजर ज़मीन हो कोई
    जिसमें अब कोई जीवन सांस नहीं लेता ....

    ....यही आज का यथार्थ है...बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..

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  5. आपकी कविताओं का रंग रेगिस्तानी क्यों हो रहा है. इसे गहरा नीला या आसमानी नीला या गुलाबी या फ़िरोज़ी या किसी नए रंग में रंगिए न. वैसे कविता बहुत खूबसूरत है :))

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  6. बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ........

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  7. आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया कृपया यूँ हीं समपर्क बनायें रखें आभार

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  8. अब शायद प्यार का वो
    गहरा सागर भी
    जैसे बंजर ज़मीन हो कोई
    जिसमें अब कोई जीवन सांस नहीं लेता ....

    सागर जैसी गहरी अनुभूति.

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  9. पहला प्‍यारे के अहसासों को वक्‍त की तपिश लगती है तो बहुत भावनात्‍मक कष्‍ट होता है अच्‍छा संकेत है ये प्‍यार की गइराई समझने का।

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