क्या सभी को
कोई ऐसा हमसफर मिल पाता है
जो जज़्ब करले, अपने अंदर,
हमारे सभी एहसासों को
जैसे सुखी मिट्टी अपने अंदर समा लेती है,
पानी की बूंदों को
और दे जाती हैं,
एक मनमोहक सी महक,
मन को लुभाने के लिए
जैसे रेत अपने अंदर जज़्ब कर लेती है
समंदर की अलहड़ लहरों का पानी,
ख़ुद गीली हो कर भी शांत भाव से ओरों को देती है
उनके सपनों का आशियाँ बनाने एक मौका ,एक ख़्वाब
जो उनको ना सिर्फ,
खुलकर जीने की प्रेरणा देता है
बल्कि कुछ देर के लिए इस हकीकत की
बेरहम दुनिया से दूर बहुत दूर ले जाता है
एक काल्पनिक स्वप्न लोक में
जहां केवल अपनी मन मर्ज़ी से जीने की
आजादी होती है
जहाँ न कोई रस्म-ओ-रिवाज का कोई
बंधन होता है
और न ही बेरहम समाज के खोखले उसूल
जो मजबूर कर देते हैं, एक इंसान
को
बेमानी सी बिना किसी वजूद की
तालश में भटकती ज़िंदगी जीने के लिए ,
क्या कोई है ऐसा
आपकी ज़िंदगी में
जो ख़ुद में आपके मन के कोलाहल
और सभी अवसादों को समेटे
होने के बावजूद भी
शांत मन से, दे सके,
आपको ,
आपके जीवन का वो मार्ग,
जहाँ आडंबरों की कोई जगह नहीं....
क्या कोई है ऐसा
ReplyDeleteआपकी ज़िंदगी में
जो ख़ुद में आपके मन के कोलाहल
और सभी अवसादों को समेटे
होने के बावजूद भी
शांत मन से, दे सके,
आपको को,
आपके जीवन का वो मार्ग,
,जहाँ आडंबरों की कोई जहग नहीं....
कहीं न कहीं तो होगा ही ....आप ढूंढिए तो ....अपने आस पास।
सिंपली सुपर्ब !
सादर
bhut sunder ehsaaso se bhari sunder rachna....badhai:)
ReplyDeleteधन्यवाद यशवंत जी एवं सत्यम जी :-)
ReplyDeleterupahali jindagi ke khusboo ko dikhati ek khubsurat rachna...:) ek hamsafar ki talaash|||!!
ReplyDeleteअद्भुत रचना पल्लवी जी।
ReplyDeleteदर असल सुकून तो हमारी खुद से मुलाकात होने पर ही संभव होता है
ReplyDeleteशादी करनी चाहिए या नहीं?
मिलता तो है ... अब किसको क्या मिला ये मुकद्दर की बात है ...
ReplyDeleteआपकी रचना बहुत सुन्दर है ... और आप अंग्रेजी साहित्य में एम ए होकर हिंदी में लिखती हैं आपको बताना चाहूँगा मै खुद भी
ReplyDeleteएम.ए. हूँ और हिंदी में ही लिखता हूँ.निवेदन है आप मेरे ब्लॉग पर आये . http://Dastan-e-sahil.blogspot.com
बहुत सुंदर पन्तियों में लिपटी प्यारी रचना,!!!!!!!बहुत खूब ...
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आइये,........
शांत मन से, दे सके,
ReplyDeleteआपको को,
आपके जीवन का वो मार्ग,
,जहाँ आडंबरों की कोई जगह नहीं....
मन में गहरे उतरता है प्रश्न ..... बहुत बढ़िया
ऐसे विन्यास दुरूह होते हैं....शायद ।
ReplyDeleteहाँ क्यों नहीं? खोजिये जिन्दगी में ऐसा जरूर कोई न कोई मिल ही जाएगा . जहाँ जाकर सब कुछ कहा जा सकता है और वह अपने में आत्मसात करके दूसरे को रिक्त कर देता है.
ReplyDeleteकुछ अनोखी सी एक बात हो गयी|
ReplyDeleteमेरी आज खुद से मुलाक़ात हो गयी|
ज़रा नजर उठा कर देखिए, वह कहीं आपके आस-पास ही तो नहीं|
बहुत सुंदर, सहज अभिव्यक्ति
us mitti ..us ret jisa koi insaan mil jaaye to kya kahne..jindagi ko aaur kya chahiye..behtarin rachna..yahan bhi aapne har baat anubhav se hee kahi hai..is shandaar kriti ke liye hardik badhayee....ek nivedan hai yah word verification hata dein please
ReplyDeleteBest Birthday Gifts Ideas Online in India
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