Friday, 22 May 2020

~तुम ~



इतनी सुंदर तो न थी मैं, जितना आज तुमने मुझे बना दिया
कुछ यूं घुमाया शब्दों को, मानो एक दीपक जला दिया

गुज़र हुये दिन कुछ इस तरह याद आए
कि लहरों ने समंदर को नचा दिया

घुँघरू थे इन पाँव में कभी
तुम्हारे शब्दों ने देखो इन्हें नूपुर बना दिया

दब के रह गयी थी कहीं जो बातें
देखो आज मेरे पास आकर तुमने उन्हें जगा दिया

मिट्टी की खुशबू, कागज़ की सियाही, सागर की लहरें,
आँखों का काजल ना जाने तुमने मुझे क्या क्या बना दिया

फूलों की खुशबू पौधों की रंगत लहराता आँचल जैसे हो पागल
तितली  के पंख, भौरे की गुंजन, देखो न, तुमने मुझे क्या क्या बना दिया

सूरज की लाली, चाँद का टीका सितारों की बाली
वो बातें तुम्हारी और कुछ हमारी, क्या थी मैं और क्या थे तुम
देखो न प्रेम ने हमें क्या से क्या बना दिया....पल्लवी   

15 comments:

  1. व्वाहहहह
    सादर

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  2. बहुत सुन्दर

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  3. वाह खुबसूरत रचना

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  4. आभार सहित धन्यवाद आप सभी का 🙏🏼

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  5. घुंगरू थे इन पाँव में कभी
    तुम्हारे शब्दों ने देखो इन्हें नूपुर बना दिया


    सुंदर

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  6. कितने गहरे प्रेम में पगे भाव

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  7. गुज़र हुये दिन कुछ इस तरह याद आए
    की लहरों ने समंदर को नचा दिया

    घुंगरू थे इन पाँव में कभी
    तुम्हारे शब्दों ने देखो इन्हें नूपुर बना दिया

    दब के रह गयी थी कहीं जो बातें
    देखो आज मेरे पास आकर तुमने उन्हें जगा दिया

    मिट्टी की खुशबू, कागज़ की सियाही, सागर की लहरें,
    आँखों का काजल ना जाने तुमने मुझे क्या क्या बना दिया
    बहुत ही सुंदर ,गहरे अहसास

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  8. प्रेम ने क्या से क्या बना दिया ...
    ये ऐसी ही चीज़ है ... सब कुछ बदल देती है ... सुन्दर रचना है ...

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  9. आप सभी का सादर धन्यवाद🙏🏼

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