इतनी सुंदर तो न थी मैं, जितना आज तुमने मुझे बना दिया
कुछ यूं घुमाया शब्दों को, मानो एक दीपक जला दिया
गुज़र हुये दिन कुछ इस तरह याद आए
कि लहरों ने समंदर को नचा दिया
घुँघरू थे इन पाँव में कभी
तुम्हारे शब्दों ने देखो इन्हें नूपुर बना दिया
दब के रह गयी थी कहीं जो बातें
देखो आज मेरे पास आकर तुमने उन्हें जगा दिया
मिट्टी की खुशबू, कागज़ की सियाही, सागर की लहरें,
आँखों का काजल ना जाने तुमने मुझे क्या क्या बना दिया
फूलों की खुशबू पौधों की रंगत लहराता आँचल जैसे हो पागल
तितली के पंख, भौरे की गुंजन, देखो न, तुमने मुझे क्या क्या बना दिया
सूरज की लाली, चाँद का टीका सितारों की बाली
वो बातें तुम्हारी और कुछ हमारी, क्या थी मैं और क्या थे तुम
देखो न प्रेम ने हमें क्या से क्या बना दिया....पल्लवी
देखो न प्रेम ने हमें क्या से क्या बना दिया....पल्लवी
बहुत सुंदर
ReplyDeleteव्वाहहहह
ReplyDeleteसादर
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाह खुबसूरत रचना
ReplyDeleteआभार सहित धन्यवाद आप सभी का 🙏🏼
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteघुंगरू थे इन पाँव में कभी
ReplyDeleteतुम्हारे शब्दों ने देखो इन्हें नूपुर बना दिया
सुंदर
कितने गहरे प्रेम में पगे भाव
ReplyDeleteवाह....!
ReplyDelete
ReplyDeleteगुज़र हुये दिन कुछ इस तरह याद आए
की लहरों ने समंदर को नचा दिया
घुंगरू थे इन पाँव में कभी
तुम्हारे शब्दों ने देखो इन्हें नूपुर बना दिया
दब के रह गयी थी कहीं जो बातें
देखो आज मेरे पास आकर तुमने उन्हें जगा दिया
मिट्टी की खुशबू, कागज़ की सियाही, सागर की लहरें,
आँखों का काजल ना जाने तुमने मुझे क्या क्या बना दिया
बहुत ही सुंदर ,गहरे अहसास
बहुत सुंदर कविता !
ReplyDeleteप्रेम ने क्या से क्या बना दिया ...
ReplyDeleteये ऐसी ही चीज़ है ... सब कुछ बदल देती है ... सुन्दर रचना है ...
आप सभी का सादर धन्यवाद🙏🏼
ReplyDeleteAchhe vichar
ReplyDeleteOnline Gifts Delivery in India
ReplyDeleteOnline Cakes Delivery in India
Order Birthday Cakes Online