आज वैलेंटाइन डे है। अर्थात प्यार का दिन, प्यार करने वालों का दिन, लेकिन क्या प्यार का भी कोई दिन होना चाहिए ? आप अपने साथी से कितना प्यार करते है यह जताने के लिए आपको किसी विशेष दिन का इंतज़ार नही होना चाहिए।
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कभी महसूस किया है ऐसे प्यार को जहां जुबां खामोश होती है और आँखों से बातें होती है।
दिल किसी एक का धड़कता है और धड़कन कहीं और सुनाई देती है।
पसीजी हुई नरम हथेली में जब बाते आम होती है
उन कांपते ठंडे पड़े हाथों में बातें तमाम होती है
कुछ कही गयी, कुछ अनकही ख्वाइशें बेलगाम होती है
जहां गुलाब की कोमल पंखुड़ियों की कोमलता सिर्फ उसके नरम गुलाबी होंठों और सुर्ख गालों तक सीमित न रहकर
उनके बालों में लगे गुलाब की महक में भी एक मिठास सी महसूस होती है
जहां शरीर मायने नही रखता
बस आंखों को आंखों की प्यास होती है
जब दो दिल एक साथ धड़कते हैं
वहां शायद जन्मों की प्यास होती है
गुलाब आखिर गुलाब ही होता है,
हर एक गुलाम की महक लगभग समान ही होती है
फिर क्या फर्क पड़ता है गर रंग उसका कोई भी हो,
मुहोब्बत तो आखिर इत्र के समान होती है।
खबर हो ही जाती है ज़माने को, जब मुहोब्बत बे लगाम होती है।
कुछ पलों का रिश्ता नही होता जनाब
यह सारी ज़िन्दगी फिर इसी के नाम होती है
अक्सर मर मिटते है लोग शक्ल पर किसी की
मगर इसकी पहचान तो दिलों से होती है
दिल से दिल मिलता है तो स्याह रातें भी सुहानी शाम लगती है और जब वही दिल टूटता है तो
यही रातें अक्सर हाथों में जाम रखती हैं
कोई जाकर बता दे उन्हें,कि गोरा रंग, घनी ज़ुल्फ़ें, रसीले होंठ सुराही दार गर्दन,
बादामी आंखे, मुहोब्बत इन बंदिशों की मोहताज़ नही होती।
उनकी सावली रंगत भी मेरा कलाम होती है
मुहोब्बत वो नही होती जिसे मिल जाए मंज़िल
यह तो वो शय है जो ज़िन्दगी ए अंजाम होती है
बाकी यह वो ज़ख्म है जिसमे आशकि सारे आम होती है
खुद मिट के भी इसे ज़िंदा रखते है लोग
मीरा यूँ ही बदनाम न होती है
मुहोब्बत है जनाब आसान कहाँ होती है
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कभी महसूस किया है ऐसे प्यार को जहां जुबां खामोश होती है और आँखों से बातें होती है।
दिल किसी एक का धड़कता है और धड़कन कहीं और सुनाई देती है।
पसीजी हुई नरम हथेली में जब बाते आम होती है
उन कांपते ठंडे पड़े हाथों में बातें तमाम होती है
कुछ कही गयी, कुछ अनकही ख्वाइशें बेलगाम होती है
जहां गुलाब की कोमल पंखुड़ियों की कोमलता सिर्फ उसके नरम गुलाबी होंठों और सुर्ख गालों तक सीमित न रहकर
उनके बालों में लगे गुलाब की महक में भी एक मिठास सी महसूस होती है
जहां शरीर मायने नही रखता
बस आंखों को आंखों की प्यास होती है
जब दो दिल एक साथ धड़कते हैं
वहां शायद जन्मों की प्यास होती है
गुलाब आखिर गुलाब ही होता है,
हर एक गुलाम की महक लगभग समान ही होती है
फिर क्या फर्क पड़ता है गर रंग उसका कोई भी हो,
मुहोब्बत तो आखिर इत्र के समान होती है।
खबर हो ही जाती है ज़माने को, जब मुहोब्बत बे लगाम होती है।
कुछ पलों का रिश्ता नही होता जनाब
यह सारी ज़िन्दगी फिर इसी के नाम होती है
अक्सर मर मिटते है लोग शक्ल पर किसी की
मगर इसकी पहचान तो दिलों से होती है
दिल से दिल मिलता है तो स्याह रातें भी सुहानी शाम लगती है और जब वही दिल टूटता है तो
यही रातें अक्सर हाथों में जाम रखती हैं
कोई जाकर बता दे उन्हें,कि गोरा रंग, घनी ज़ुल्फ़ें, रसीले होंठ सुराही दार गर्दन,
बादामी आंखे, मुहोब्बत इन बंदिशों की मोहताज़ नही होती।
उनकी सावली रंगत भी मेरा कलाम होती है
मुहोब्बत वो नही होती जिसे मिल जाए मंज़िल
यह तो वो शय है जो ज़िन्दगी ए अंजाम होती है
बाकी यह वो ज़ख्म है जिसमे आशकि सारे आम होती है
खुद मिट के भी इसे ज़िंदा रखते है लोग
मीरा यूँ ही बदनाम न होती है
मुहोब्बत है जनाब आसान कहाँ होती है
बिल्कुल सही " मुहोब्बत है ज़नाब आसान कहाँ होती है " हमेशा कि तरह शानदार लेखन 👍
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर ,मोहब्बत करना आसान है ,निभाना मुश्किल तभी तो आसान नहीं होती ,बधाई हो आपको
ReplyDeleteThanks for sharing ! Best Packers and Movers Bangalore online
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ReplyDeleteGreat blog! That was amazing. we at packers and movers in bangalore like Your thought processing,keep sharing such content.
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