कभी देखा सुना या महसूस भी किया है तन्हाइयों को
खामोशी की चादर लपेटे एक चुप सी तन्हाई
जो दिल और दिमाग के गहरे समंदर से निकली हुई एक लहर हो कोई
जब कभी दिलो और दिमाग की जद्दोजहद के बीच शून्य में निहारती है आंखे
तो जैसे हर चीज़ में प्राण से फूँक जाते है
और ज़रा-ज़रा सांस लेता हुआ सा प्रतीत होता है
सुनो क्या तुमने भी कभी महसूस किया है तन्हाइयों को इस तरह ...
पक्का नहीं किया होगा
क्यूंकि तन्हाई उदासी खामोशी तो खुदा की उस नेमत की तरह हैं
जो केवल इश्क करने वालों को ही नसीब होती है
पर तुमने तो कभी इश्क किया ही नहीं
खुद से भी नहीं
और जो खुद से इश्क नहीं कर सकता
वो भला किसी और से इश्क़ कर सकता है क्या
नहीं ना ...
इसलिए तुम कभी महसूस ही नहीं कर सकते
वो तन्हाइयाँ
वो खामोशियाँ
वो एक चुप
जो भीड़ में भी तन्हा कर दे
जो बेवजह कहीं भी होठों की मुस्कुराहट का सबब बन जाये
वो ख़मोशी जो उस मसले हुए फूल की तरह होती है, जो खुद मिटकर भी महकता है
ठीक वैसे ही जैसे एक जली हुई अगरबत्ती जो सुलगती तो है, मगर खुशबू के साथ
जैसे सागर किनारे खड़े होकर भी लहरों का शोर, शोर सा सुनाई नहीं देता
जानते हो क्यूँ... क्यूंकि कुछ खामोशियाँ ,तन्हाइयाँ शोर में भी खूबसूरत ही लगती है
सुनो क्या तुमने भी कभी महसूस किया है उन खामोशीयों और तन्हाइयों को इस तरह .....
सच में जो सच्चे प्रेम में मग्न हैं उन्हें ही इस तरह के एकांत या तन्हाई का अनुभव हो सकता है. सुन्दर रचना.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी लगी मुझे रचना........शुभकामनायें ।
ReplyDeleteखासकर शुरूआती लाइन से ही ........सुबह सुबह मन प्रसन्न हुआ रचना पढ़कर !
बहुत सुंदर ..गहरा एहसास लिए रचना ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अहसास और उनकी प्रभावी अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteख़ामोशी को जुबान देते लफ्ज़ ……बहुत बढ़िया |
ReplyDeleteमुझको इस रात की तनहाई में आवाज न दे......आवाज न दे। एक किस्म के प्रेम के रहस्य को उजागर करती प्रेमिल, सुन्दर कविता।
ReplyDeleteSunder rachna.... pallavi..!
ReplyDeleteआप की ख़ामोशी ने इक शे'र की याद दिला दी ...पेश है ..
ReplyDeleteतन्हाइयों में भी छेड़ी जाती हैं अक्सर हमारी शाने
छेड़ने वाले हमें यहाँ भी छेड़ जाते हैं
हमारी वज़्म और आपकी वज़्म में बस फर्क है इतना
वहन दिए जलते हैं और यहाँ दिल जलाये जाते हैं .......
अच्छी रचना .गहरे अहसास ...शुभकामनाये ! स्वस्थ रहें :-)
आप की ख़ामोशी ने इक शे'र की याद दिला दी ...पेश है ..
ReplyDeleteतन्हाइयों में भी छेड़ी जाती हैं अक्सर हमारी शाने
छेड़ने वाले हमें यहाँ भी छेड़ जाते हैं
हमारी वज़्म और आपकी वज़्म में बस फर्क है इतना
वहन दिए जलते हैं और यहाँ दिल जलाये जाते हैं .......
अच्छी रचना .गहरे अहसास ...शुभकामनाये ! स्वस्थ रहें :-)
कोमल अहसास लिए बहुत ही गहरी अभिव्यक्ति...
ReplyDelete:-)
khamoshiyan bahut kuchh kahti hai ...
ReplyDeletesundar aur pyare bhaw :)
मन के अहसासों की बहुत ही सुंदर प्रस्तुति !
ReplyDeleteनई रचना : सुधि नहि आवत.( विरह गीत )
बहुत खूब ....
ReplyDeleteयहाँ भी पधारें
ReplyDeletehttp://sanjaybhaskar.blogspot.in
बहुत सुंदर...
ReplyDeleteअहसासों से भरपूर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteतन्हाई का मजा हर किसी को नसीब नहीं होता ... इनको जीना पड़ता है ... ये मिलती है मुहब्बत में कहीं गहरे जा के .... नसीब वालों को मिलती है ...
ReplyDeleteखामोशियों की महक इश्क में सराबोर हो तो क्यूँ ना खूबसूरत होगी .....ऐसी तन्हाईयों का स्वागत है
ReplyDeleteसुंदर ...कोमल रचना