"फूल गुलाब का लाखों में हजारों में
चेहरा जनाब का"
कितना आसान होता है ना, किसी को गुलाब कह देना
निर्मल, कोमल, खुशबू से लबरेज़ महकता हुआ गुलाब
किसी के होंटों गुलाब, तो किसी के गालों पर गुलाब
और हो भी क्यूँ ना
आखिर यूं हीं थोड़ी न फूलों का राजा कहलाता है गुलाब
मगर किसी को गुलाब की उपमा से नवाज़्ते वक्त
हम कभी क्यूँ नहीं सोच पाते
उसकी सुंदरता और उसकी कोमलता के पीछे छिपे
उसके दर्द को, उन काँटों की चुभन को
जिसके बीच दिन रात रहकर भी
तिल तिल कर बढ़ती है एक कोमल कली
और बनती है एक खूबसूरत गुलाब
जिसे देखने के बाद हर मन मचल ही जाता है उसे पाने के लिए
इन दिनों मेरे घर में भी खिल रहे हैं, अनगिनत गुलाब
मगर कल उन्हें पाने की चाह में
मैंने महसूस की उसके काँटों की चुभन
तब यह ख्याल आया कि
हर मुस्कुराहट के पीछे एक दर्द छिपा होता है
चहरे और स्वभाव से जो इंसान खुश मिजाज दिखाई दे
अक्सर वही इंसान अंतस से बेहद दुखी होता है
अर्थात जो आँखें देखती है वो हमेशा सच नहीं होता
यूं तो समंदर किनारे भी बहुत शोर होता है
लेकिन समंदर की ख़ामोशी भी अक्सर हमें सुनाई नहीं देती...
जैसे यह है तो एक कविता मगर कविता सी सुनाई नहीं देती :-)
खैर छोड़िए जनाब जो मन में आया और जो महसूस किया वो लिख दिया अब कविता बनी या नहीं इस से क्या फर्क पड़ता है आप सब मज़ा लीजिये इस गीत का.... :))
नदी का सौन्दर्य दिखना और उसके प्रलाप को सुनना - दोनों में अंतर है
ReplyDeleteसमंदर की ख़ामोशी भी अक्सर हमें सुनाई नहीं देती
ReplyDeleteमन के बातों को ऐसे ही निच्छल भाव से लिख देना ...कविता से भी आगे की ही सोच है
ReplyDeleteबहुत उम्दा
sahi kaha aapne gulab kah dena kitna aasan hai !!
ReplyDeleteहम हिंदी चिट्ठाकार हैं
बहुत सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति आभार जो बोया वही काट रहे आडवानी आप भी दें अपना मत सूरज पंचोली दंड के भागी .नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
ReplyDeleteआपकी यह पोस्ट आज के (१२ जून, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - शहीद रेक्स पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
ReplyDeleteआभार ...
Deleteयही है संवेदना का चिन्तन!
ReplyDeleteबहुत बडियां अभिव्यक्ति......बधाई आपको
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteअच्छी रचना
मीडिया के भीतर की बुराई जाननी है, फिर तो जरूर पढिए ये लेख ।
हमारे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर। " ABP न्यूज : ये कैसा ब्रेकिंग न्यूज ! "
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/abp.html
हर खुशी के पीछे भी कई बार दर्द होता है ... मेरा मानना है दर्द को याद करके खुशी देने वाले की इच्छा का अनादर है ...
ReplyDeleteवाह
ReplyDeletewah re khubsurat gulab... :) dard ward ko kaun dekhe, soche, samjhe... !!
ReplyDeletebehtareen..
सच दृश्य और श्रब्य से कभी कभी परे होता है पर हमेशा नहीं -अच्छी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteअनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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बहुत संवेदनशील अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteसंवेदना से भरी अभिव्यक्ति के लिए बधाई
ReplyDeleteसंवेदनशील अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसमंदर और फूल बिन कहे क्या कहते हैं , खूब कहते हैं , कभी उनके करीब खामोश होकर देखें तो !
ReplyDeleteसुन्दर !
उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDelete@मेरी बेटी शाम्भवी का कविता-पाठ
वाह.......अति सुन्दर ।
ReplyDeleteबहुत ही भावपुर्ण अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteमगर कल उन्हें पाने की चाह में ....
ReplyDeleteमैंने महसूस की उसके काँटों की चुभन..
सुन्दर भाव ..सच को उकेरती विचारणीय रचना ...
भ्रमर ५
सच है मुस्कराहट के पीछे के दर्द को समझना बहुत मुश्किल होता है । बधाई । शुभकामनाएँ
ReplyDeleteवाकई जो हंसते मुस्कुराते रहते हैं शायद वे अंदर से दुखी रहते हैं। जो हंसते मुस्कुराते नहीं वे और भी ज्यादा दुखी तो नहीं रहते पर दुनियावी विडंबना देखकर (ऐसा क्यों) की मनस्थिति में अवश्य रहते हैं। ..............गुलाब पर तो रेखा और फारुख शेख की मूवी का यही गीत याद आता है,'लाखों में हजारों में चेहरा जनाब को,फूल गुलाब का'।
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