"अभिनव इमरोज" पत्रिका में प्रकाशित मेरी लिखी यह कविता
आज भी जब पुरानी डायरी के पन्ने पलटती हूँ
कुछ खामोश दस्तावेज़ों कि महक से महक्ति हूँ
माना के हर पन्ने में गुलाब नहीं होते पर
इन लफ़्ज़ों में है खुशबु तेरी सासों कि
के यादों के गुलिस्तान कभी ख़ाक नहीं होते,
के हर किसी कि ज़िन्दगी के हिस्सों में गुलाब नहीं होते
वो जो होते है बहुत खास,वो शब्दों के मोहताज़ नहीं होते
जिनके हिस्से में आते है सिर्फ कांटे
वह लोग भी लाजवाब होते है
के आसान नहीं होता
दिल में आग रखना और होंटों पे गुलाब रखना
यूँ हीं नहीं कोई बन जाता है अपना
डूबती कश्तीयों के अक्सर किनारे आम होते हैं,
कहने को बहुत साधारण पर बहुत ख़ास ओ आम होते हैं
यह वो दिल के रिश्ते है साहब
जहाँ लोग बड़ी शान से बदनाम होते है
यादों के यह मोती कोई आम नहीं होते
कीमत उनकी केवल वही जानता है
जिसके दामन में यह दाग़ नहीं होते
होता है अगर यह मर्ज़ ए आम कोई तो
गुलाब को पाने कि चाह में
यह आशिक यूँ सरे बाज़ार कभी गुलफाम नहीं होते
काँटों पर चलना पड़ता है, रिश्तों में ढालना पड़ता है अग्नि में तपना पड़ता है,
अपने को पाने कि खातिर
जब अपनों से लड़ना पड़ता है और ज़हर भी पीना पड़ता है
मोहोब्बतों के किस्से यूँ ही आम नहीं होते
के हर किसी कि ज़िन्दगी में गुलाब नहीं होते,
वो जो होते है बहुत ख़ास, वो शब्दों के मोहताज़ नहीं होते.....
पल्लवी
नए वर्ष के लिए आपको भी बहुत बहुत शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteजी आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें 🙏🏼
Deleteनववर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ
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