इसलिए तो आज सभी ने दिलोजान से चाहा है हमें
यह मेरी ज़िंदगी का दिया हुआ कोई तौहफा ही है जो आज
तूने भी अपने गले से लगाया है हमें,
यही काफी न था शायद चाहत के लिए उनकी
इसलिए उन्होने अपने सपनों में बसाया है हमें
वरना यूं तो ना जाने कितनी आँखों ने ख्वाबों में देखा है हमें
यह और बात है कि हम ही न कर सके मुहब्बत
किसी ओर से तुझे चाहने के बाद
वरना इस मुहब्बत में अपने कदमो तले तो बहुतों को झुकया है हमने
हैं नतीजा शायद इस बात का यही के
उनके पहलू में है आज प्यार तो क्या, हमारे भी दामन में आज आग सही
कि अब तो बस गुज़र रही है ज़िंदगी यूं ही
ए-खुदा की चाहतों का हुजूम होते हुए भी अब इस दिल को
किसी की कोई,ख्वाइश ही नहीं
क्यूंकि बस एक तेरी याद ही काफी है
हमें एहसास ए मुहब्बत याद दिलाने के लिए कि जिसमें
तेरे होते हुए भी बस एक तेरी चाहत ही नहीं
अगर कुछ है तो वो
सौ दर्द हैं....सौ राहतें....सब मिला....हम नशीन..एक तू ही नहीं .....
मन को छूते शब्द ... भावमय करती प्रस्तुति ।
ReplyDeleteहमें एहसास ए मुहब्बत याद दिलाने के लिए कि जिसमें
ReplyDeleteतेरे होते हुए भी बस एक तेरी चाहत ही नहीं
अगर कुछ है तो वो
सौ दर्द हैं....सौ राहतें....सब मिला....हम नशीन..एक तू ही नहीं ....
चाहत का ये सिलसिला जारी रखें कहीं न कहीं मंजिल मिल ही जाएगी
beautiful lines :)
ReplyDeleteसंवेदनशील भाव लिए...
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी रचना..
वो साथ रहे ना रहे पर उसके अहसास हमेशा साथ रहंगे ...उन्ही यादों के लिए ..बहुत खूब ...
ReplyDeleteसुंदर और भावपूर्ण रचना |
ReplyDeleteमेरी पोस्ट में आपका स्वागत है |
जमाना हर कदम पे लेने इम्तिहान बैठा है
पूरी हो जाय तो चाहत कहाँ कहाँ रहेगी !
ReplyDeleteबस एक याद ही काफी है !
ReplyDeleteआज 18/09/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
ReplyDeleteभावों को बखूबी लिखा है ....
ReplyDeleteइस एक याद के सहारे ही पूरा जीवन कट जाता है ...
ReplyDeleteगहरी भावनाएं समेट की लिखी पोस्ट ...
पूरी रचना की भावुकता मन को छूते हैं।
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
अच्छी कविता है और अंत में गुलज़ार साहब वाली लाईन भी ;) ;)
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