Friday, 14 September 2012

चाहत


यूं तो ज़िंदगी ने बहुत कुछ दिया है हमें 
इसलिए तो आज सभी ने दिलोजान से चाहा है हमें  
यह मेरी ज़िंदगी का दिया हुआ कोई तौहफा ही है जो आज   
 तूने भी अपने गले से लगाया है हमें,
यही काफी न था शायद चाहत के लिए उनकी 
इसलिए उन्होने अपने सपनों में बसाया है हमें  
वरना यूं तो ना जाने कितनी आँखों ने ख्वाबों में देखा है हमें 
यह और बात है कि हम ही न कर सके मुहब्बत 
किसी ओर से तुझे चाहने के बाद
वरना इस मुहब्बत में अपने कदमो तले तो बहुतों को झुकया है हमने 
हैं नतीजा शायद इस बात का यही के 
उनके पहलू में है आज प्यार तो क्या, हमारे भी दामन में आज आग सही
कि अब तो बस गुज़र रही है ज़िंदगी यूं ही 
ए-खुदा की चाहतों का हुजूम होते हुए भी अब इस दिल को 
किसी की कोई,ख्वाइश ही नहीं 
क्यूंकि बस एक तेरी याद ही काफी है 
हमें एहसास ए मुहब्बत याद दिलाने के लिए कि जिसमें
तेरे होते हुए भी बस एक तेरी चाहत ही नहीं 
अगर कुछ है तो वो   
सौ दर्द हैं....सौ राहतें....सब मिला....हम नशीन..एक तू ही नहीं ..... 

14 comments:

  1. मन को छूते शब्‍द ... भावमय करती प्रस्‍तुति ।

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  2. हमें एहसास ए मुहब्बत याद दिलाने के लिए कि जिसमें
    तेरे होते हुए भी बस एक तेरी चाहत ही नहीं
    अगर कुछ है तो वो
    सौ दर्द हैं....सौ राहतें....सब मिला....हम नशीन..एक तू ही नहीं ....

    चाहत का ये सिलसिला जारी रखें कहीं न कहीं मंजिल मिल ही जाएगी

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  3. संवेदनशील भाव लिए...
    हृदयस्पर्शी रचना..

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  4. वो साथ रहे ना रहे पर उसके अहसास हमेशा साथ रहंगे ...उन्ही यादों के लिए ..बहुत खूब ...

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  5. सुंदर और भावपूर्ण रचना |
    मेरी पोस्ट में आपका स्वागत है |
    जमाना हर कदम पे लेने इम्तिहान बैठा है

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  6. पूरी हो जाय तो चाहत कहाँ कहाँ रहेगी !

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  7. बस एक याद ही काफी है !

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  8. आज 18/09/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

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  9. भावों को बखूबी लिखा है ....

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  10. इस एक याद के सहारे ही पूरा जीवन कट जाता है ...
    गहरी भावनाएं समेट की लिखी पोस्ट ...

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  11. पूरी रचना की भावुकता मन को छूते हैं।

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  12. अच्छी कविता है और अंत में गुलज़ार साहब वाली लाईन भी ;) ;)

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