सागर किनारे साहिल की रेत पर
न जाने कितनी बार लिखा मैंने तुम्हारा नाम
मगर हर बार उसे कोई न कोई सगार की लहर आकर मिटा गयी
मगर मैंने हार ना मानी कभी, मैं हर बार लिखती गयी और वो हर बार मिटाती गयी
उसी तरह तुमने भी शायद मेरे नाम को
अपने ज़ेहन से मिटाने की एक नाकाम कोशिश की है
मगर यह कोई उस साहिल की रेत पर लिखे नाम की तरह
लिखा गया प्यार का पैगाम नहीं कि
जिसे समंदर की कोई भी लेहर ,जब चाहे आकर अपने आग़ोश में लेले
बल्कि यह तो तुम्हारे दिल के कागज़ पर वक्त की कलम से लिखा गया
मेरी मुहब्बत का पैगाम है जिसे इस ज़माने के सागर की
कोई भी बगावत रूपी लेहर आकर
यूं हीं नहीं मिटा सकती कभी
जानते हो क्यूँ ,क्यूंकि हर लेहर का साहिल से एक नाता होता है
इसलिए तो लेहरें भी गए वक्त की तरह लौट-लौट कर वापस आती है
उसी साहिल को छूकर बार-बार महसूस करने के लिए
हाँ मैंने खुद भी महसूस किया है
उन लहरों के आवेग में भी छिपा हुआ संगीत
तेरे मेरे प्यार का एक गीत की
तेरा मुझसे है, पहले का नाता कोई
यूं हीं नहीं दिल लुभाता कोई
जाने तू ....या ....जाने ना .....माने तू ...या ...माने ना .....
हाँ मैंने खुद भी महसूस किया है
ReplyDeleteउन लहरों के आवेग में भी छिपा हुआ संगीत
तेरे मेरे प्यार का एक गीत की
तेरा मुझसे है, पहले का नाता कोई
यूं हीं नहीं दिल लुभाता कोई
जाने तू ....या ....जाने ना .....माने तू ...या ...माने ना .....
मन की भावनाएं रेत पर उभर आई .
प्यार का गीत होता ही ऐसा है कोई लहर उसे तोड़ न सके.... गहरे जज्बात के साथ सुंदर कविता.
ReplyDeleteहाँ मैंने खुद भी महसूस किया है
ReplyDeleteउन लहरों के आवेग में भी छिपा हुआ संगीत
तेरे मेरे प्यार का एक गीत ,,,
प्यार के अहसासों की खूबशूरत अभिव्यक्ति,,,,,
RECENT POST-परिकल्पना सम्मान समारोह की झलकियाँ,
यूं हीं नहीं मिटा सकती कभी
ReplyDeleteजानते हो क्यूँ ,क्यूंकि हर लेहर का साहिल से एक नाता होता है
इसलिए तो लेहरें भी गए वक्त की तरह लौट-लौट कर वापस आती है
उसी साहिल को छूकर बार-बार महसूस करने के लिए.........भले गया वक्त वापस न आये लेकिन मेरा प्यार .......बढ़िया बहुत बढ़िया भाव विरेचन प्रस्तुत किया है कवियित्री ने इस रचना में ,तदानुभूति हमें भी हुई .
सोमवार, 3 सितम्बर 2012
स्त्री -पुरुष दोनों के लिए ही ज़रूरी है हाइपरटेंशन को जानना
स्त्री -पुरुष दोनों के लिए ही ज़रूरी है हाइपरटेंशन को जानना
What both women and men need to know about hypertension
मन के समंदर से निकली यह लहर साहिल तक पहुंच रही है।
ReplyDeleteउसी साहिल को छूकर बार-बार महसूस करने के लिए
ReplyDeleteहाँ मैंने खुद भी महसूस किया है
उन लहरों के आवेग में भी छिपा हुआ संगीत
आकंठ तक डूबा प्यार की अभिव्यक्ति :)
वाह ... बेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteवाह जी..लहर और साहिल का नाता...:)))
ReplyDeleteयहाँ भी आयें कभी...:)
http://gunjkavi.blogspot.in/
दिल में बसी यादों को न खुरच कर निकला जा सकता है न मिटाया जा सकता है. प्यार की सघन अनुभूति को शब्द मिले सटीक बिम्ब के साथ.
ReplyDeleteदिल में बसी यादें निकालना आसान नहीं होता ...
ReplyDeleteसुन्दर शब्दों का बिंब खड़ा किया है आपने ... लाजवाब ...