जाने मन तुम कमाल करती हो...
उठते ही सुबह से सबका ख्याल करती हो
बच्चों को स्कूल भेज खुद काम पे निकलती हो
सारा दिन खट के जब घर में कदम रखती हो
चेहरे पर न शिकन कोई न थकान का कोई अंश
बच्चों के संग बच्चा बन जब हँसती हो
जानेमन तुम कमाल करती हो....
उठते ही सुबह से सबका ख्याल करती हो
बच्चों को स्कूल भेज खुद काम पे निकलती हो
सारा दिन खट के जब घर में कदम रखती हो
चेहरे पर न शिकन कोई न थकान का कोई अंश
बच्चों के संग बच्चा बन जब हँसती हो
जानेमन तुम कमाल करती हो....
रात को भी अपने घर का सारा काम निपटा
पति के साथ प्रताड़ना सहकर भी
उसी पति का ख्याल रखती हो
उसकी लंबी हो आयु कि दुआ कर
हर रात अपना सब कुछ अर्पण करती हो
जानेमन तुम कमाल करती हो....
पति के साथ प्रताड़ना सहकर भी
उसी पति का ख्याल रखती हो
उसकी लंबी हो आयु कि दुआ कर
हर रात अपना सब कुछ अर्पण करती हो
जानेमन तुम कमाल करती हो....
घर से बेघर किये जाने पर भी
दूसरों के संग मन हल्का कर फिर से जी उठती हो
आंखों में नमी हंसी लबों पर
इस जुमले को तुम ही साकार करती हो
जानेमन तुम कमाल करती हो.....
दूसरों के संग मन हल्का कर फिर से जी उठती हो
आंखों में नमी हंसी लबों पर
इस जुमले को तुम ही साकार करती हो
जानेमन तुम कमाल करती हो.....
अपने दम पर जीने वाली
अपने बच्चों को खुद कमाकर खाने वाली
एक जीवट स्त्री होकर भी
जाने क्यों तुम इतने जुल्मों सितम सहा करती हो
जानेमन तुम कमाल करती हो.....
अपने बच्चों को खुद कमाकर खाने वाली
एक जीवट स्त्री होकर भी
जाने क्यों तुम इतने जुल्मों सितम सहा करती हो
जानेमन तुम कमाल करती हो.....
नजाने किस मिट्टी से बनता है वो रब तुमको
जो हजार झंझवातों को सहकर भी तुम
हंसने मुस्कुराने का हुनहर रखती हो
जो हजार झंझवातों को सहकर भी तुम
हंसने मुस्कुराने का हुनहर रखती हो
कहाँ से लाती हो इतनी हिम्मत
कि सौ बार टूट के बिखरती हो
कि सौ बार टूट के बिखरती हो
फिर भी हर सुबह खुद को समेट कर
एक नए दिन के साथ एक नयी शुरुआत करती हो
जानेमन तुम कमाल करती हो....
एक नए दिन के साथ एक नयी शुरुआत करती हो
जानेमन तुम कमाल करती हो....
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 08 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहर शब्द अपनी दास्ताँ बयां कर रहा है आगे कुछ कहने की गुंजाईश ही कहाँ है बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteधन्यवाद🙏
Deleteतीखा व्यंग्य जो घर और नौकरी के दो पाटों में पिसती आधुनिक नारी की असल स्थिति बयान करता है।
ReplyDeleteआभार🙏
Deleteबहुत सही प्रश्न करती रचना ।
ReplyDeleteशुक्रिया🙏
Deleteबहुत अच्छा लिखा ।
ReplyDeleteकमाल का बखान करती कमाल की रचना. नए ब्लॉग की बधाई.
ReplyDeleteकमाल की रचना ,बहुत सुंदर लिखा है
ReplyDeleteHappy Valentines Gift Ideas Online
ReplyDelete