यूं तो हूँ मैं तुमसे जन्मी हूँ माँ
मगर तुमने मुझे कभी अपना समझा ही नहीं माँ
क्या सिर्फ इसलिए कि मैं एक लड़की थी
या मेरा रंग ज़रा काला था
या फिर
मेरी त्वचा ज़रा जरूरत से ज्यादा ही रूखी सुखी सी थी
दिखने में शायद बहुत कुरूप थी मैं उस वक्त
लेकिन क्या यह सब कारण एक माँ की ममता को
अपने ही बच्चे के प्रति जो लगाव रहा करता है
उसे कम करने में सक्षम है?
जो तुमने मेरा पल पल तिरस्कार किया
जो तुमने मेरा पल पल तिरस्कार किया
मुझे अपनी बेटी कहने से इंकार किया
यहाँ तक कि तुमने तो अपने पति, यानि मेरे पिता तक को
जाने अंजाने अपमानित किया
यह कह -कहकर कि यह मेरी बेटी नहीं
यह तो अपने पिता की संतान है
इसलिए उन्हीं पर गया है, इसका रंग रूप
मेरा तो सिर्फ बेटा है
जो मेरे जैसा दिखता है गोरा चिट्टा
बल्कि मुझे जैसा ही सोचता भी है
लेकिन इस सब के बावजूद भी मुझे गर्व है माँ
इस बात पर कि मैं अपने पिता की बेटी हूँ
जो देखने में भले ही एक साधारण से आम इंसान है
मगर वासत्व में एक बेहद नेक दिल इंसान भी हैं
जो इस दुनिया में बहुत कम पाये जाते हैं
तो क्या हुआ जो उनका रंग काला है और मेरा भी
तो क्या हुआ अगर उनकी त्वचा भी
मेरी त्वचा कि तरह खराब है
तो क्या हुआ जो वह एक फिल्मी हीरो कि तरह
अपने मन की बातें आपसे कभी जाहिर नहीं कर पाते
मगर इतने सालों में साथ रहते
एहसास तो हुआ होगा आपको भी, कि वो कहें भले ही नहीं
लेकिन कदर ही नहीं बल्कि प्यार भी करते हैं वो आपको
मगर आपने मेरी तरह शायद उन्हें भी कभी अपना समझा ही नहीं
इसलिए शायद आपने दुनिया की रीत के आगे
सिर्फ अपना फर्ज़ निभाय हैं
प्यार नहीं किया कभी उनसे
और न ही मुझसे
क्यूँ माँ क्यूँ
क्या दिखावा ही ज़िंदगी में सब कुछ है
क्या वास्तविकता के कोई मायने नहीं ?
नहीं!!! कम से कम मेरी ज़िंदगी में तो यह बात सच नहीं
क्यूंकि मेरे जीवन की वास्तविकता तो यह है कि
इतना कुछ होने के बावजूद भी मुझे आज भी बहुत बुरा लगता है
जब तुम किसी भी बात पर मुझे खुद से अलग करते हुए भईया का पक्ष लेती हो
और यह कहती हो कि वो मेरे जैसा है
और मैं अपने पिता जैसी हूँ
फिर भले ही वो कोई हंसी मज़ाक कि ही बात क्यूँ न हो
सच तो यह है माँ कि मैं और पापा आज भी आप से बहुत प्यार करते है
और आपसे जुड़े रहना चाहते हैं
बातों में भी और वास्तव में भी
इसलिए कम से कम अब तो इस रंग भेद और बेटे बेटी के भेद को छोड़ो माँ
और एक बार कह दो कि हाँ हमारी बेटी भी मेरे जैसी ही है।
तो मेरे दिल को भी एक बार सूकून आजाये .....
अच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
दिल को छू गई आपकी बातें ....
ReplyDeleteक्या ,माँ ऐसा कर सकती है ....
विश्वास करने को दिल नहीं कर रहा .....
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना ।
ReplyDeleteஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ
ब्लॉग जगत में नया "दीप"
ஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ
क्या ऐसा होता है ...!!!गौरवर्ण होने का अहंकार इतना अधिक हो सकता है !!
ReplyDeleteमार्मिक
सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteRECENT POST: दीपों का यह पर्व,,,
भावमय करते शब्दों का संगम है आपकी यह अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबेटी और बेटे में अंतर करा जाता है कौन ?
ReplyDeleteभावपूर्ण सुन्दर अभिव्यक्ति |अब लड़ाका लडकी में अंतर काफी हद तक कम हो गया है |
ReplyDeleteआशा
पल्लवी जी
बहुत मार्मिक लिखा है …
♥ मां तू मुझसे प्यार न कर … ♥
♥पर … मां होने से इंकार न कर … ♥
… लेकिन अधिकांशतः अब स्थितियां बदल गई हैं ।
अच्छे काव्य-प्रयास के लिए बधाई !
आपकी लेखनी से उत्तरोतर श्रेष्ट सृजन होता रहे …
शुभकामनाओं सहित…
बहुत बढ़िया प्रस्तुती
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ReplyDeleteThanks for sharing information Order Birthday Cake Online for all readers.
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