Saturday 9 March 2013

नारी मन....


यूं तो कहने को महिला दिवस है
लेकिन क्या फायदा ऐसे दिवस का जो महज़ कहने को आता है
और आकर यूं ही चला जाता है
ना नारी ही नारी का सम्मान करती है यहाँ
और न ही पुरुष ही करता है
सब भक्षण ही करना चाहते है
कोई संरक्षण करना नहीं चाहता कभी
वैसे तो मैं, अर्थात मैं नारी अपने आप में ही सम्पूर्ण हूँ
इतनी सम्पूर्ण कि मैं अगर चाहूँ तो एक ही झटके में बदल सकती हूँ
इस संसार का भूत, भविष्य और वर्तमान
मगर करती नहीं हूँ मैं ऐसा
क्या करूँ आदत से मजबूर हूँ ना,
इसलिए सदा खुद से पहले तुम्हारे बारे में सोचती हूँ
तुम खुश रहो और सफलता के साथ-साथ एक स्वस्थ एवं दीर्घ आयु जियो
बस यही एक कामना तो किया करती हूँ मैं दिन रात
मगर यह क्या
तुम ने तो मेरे इस रूप को, मेरी कमजोरी समझ लिया
हे नादान पुरुष तुम क्यूँ भूल गए जिस से तुम जन्में हो
वो अगर तुम्हें जन्म देकर तुम्हारा भरण, पोषण और रक्षण कर सकती है
तो वक्त आने पर वही तुम्हारा भक्षण भी कर सकती है
मत भूलो जो मौन है वो कमजोर नहीं
इसलिए किसी को इतना भी मत सताओ और न झुकाओ
कि विपरीत वार में वो तुम्हें कहीं का ना छोड़े
और तुम आसमान से गिरे खजूर में अटके की भांति
धरती पर पड़े क्षत विक्षत नज़र आओ
शुक्र करो कि मैंने छोड़ी नहीं है, अब तक अपनी कुछ आदतें
कि अब भी एक उम्मीद बाकी है मेरे मन में तुम्हारे प्रति
क्यूंकि जन्म से तो कोई बुरा नहीं होता 
न स्त्री, न पुरुष
यह तो वक्त और हालात हैं, जो इंसान को नासमझ बना दिया करते है
इसलिए शायद नारी भी स्वयं नारी की दुश्मन हो जाती है कभी-कभी  
लेकिन नादानी तो सभी से हो सकती है 
क्यूंकि हम इंसान तो है ही
गलतियों का पुतला
मगर वो कहते हैं न गलतियाँ माफ की जा सकती है
मगर गुनाह नहीं,
इसलिए मेरे चेहरे की सोम्यता और शांति की परीक्षा न लो  
क्यूंकि शांति हमेशा संतोष नहीं देती
कई बार वही शांति तूफान से पहले की शांति का रूप भी हो सकती है...

21 comments:

  1. गलतिया माफ़ की जा सकती है ..पर गुनाह नही !!!
    बिल्कुल सही कहा आपने ...सुंदर लेख ..बधाई!

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  2. कि अब भी एक उम्‍मीद बाकी है मेरे मन में तुम्‍हारे प्रति.......वास्‍तव में यही भाव है,जिसने नारी को अभी तक सहनशील बना रखा है, अन्‍यथा तो क्‍या हो जाता अभी तक, उसकी कल्‍पना ही नहीं की जा सकती है। बहुत सुन्‍दर वर्णन परिस्थितियों का।

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  3. पल्लवी जी ,आपने सही कहा,की गुनाह माफ़ नही किया जा सकता,,उम्दा अभिव्यक्ति,,,,

    Recent post: रंग गुलाल है यारो,

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  4. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (10-03-2013) के चर्चा मंच 1179 पर भी होगी. सूचनार्थ

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  5. किसी शायर ने कहा भी है -
    कहिये तो आसमाँ को ज़मीं पर उतार लाएं
    मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए

    कितना अच्छा हो, अगर साल 2013 में यह नज़ारा देखने को मिले कि परंपरागत और आधुनिक समाज में यह होड़ लगे कि देखें कौन औरत को हिफ़ाज़त और सम्मान देने में दूसरे को पछाड़ता है ?
    मज़बूत इरादे और सकारात्मक प्रतियोगिता के ज़रिये हम औरतों को वह सब दे सकते हैं, जो उनका वाजिब हक़ है।

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  6. वर्ष का एक दिन 'महिला-दिवस' तो बाकी के 364 दिन किसके?

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  7. गलती सिर्फ एक या दो बार ही होती है | उसके बाद गलती गुनाह ही कहलाती है और उस गुनाह को कभी माफ़ नहीं किया जा सकता | आपने सही कहा एक दम | बढ़िया |

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  8. सुन्दर भाव सम्प्रेषण.

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  9. बढ़िया प्रस्तुति-
    शुभकामनायें आदरेया -
    हर हर बम बम

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  10. महिला दिवस है तो उसकी सार्थकता भी हो.....

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  11. सुन्दर भाव लिए सार्थक प्रस्तुति.आपको महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  12. मेरी परीक्षा न लो ... सच है नारी के संयम की सीमा आने से पहले पुरुष को समझना होगा ...
    नारी का सम्मान हो तभी इस दिवस की भी सार्थकता है .... सुन्दर भावमय रचना ...

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  13. बढिया प्रस्तुति
    बहुत सुंदर

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  14. .

    बहुत ही सुन्दर भावों को अभिव्यक्त करती लाइन आपकी चेतावनी का सम्मान करते हुए . महा शिवरात्रि की शुभकामना

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  15. सच, कब तक परीक्षा लोगे...बहुत सार्थक प्रस्तुति...

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  16. नादानी तो सबसे होती है चाहे मर्द हो या औरत . .. गुनाह नहीं होना चाहिए
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  17. गलती तो माफ की जा सकती है लेकिन गुनाह नहीँ । एकदम सत्य और वजनदार बात कही आपने । सार्थक रचना । बधाई ।

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