Tuesday 4 April 2023

मौसम की क्या कहे रे मनवा ~

मौसम की क्या कहे रे मनवा

पल पल रंग बदलता है

अभी धूप थी अभी छाँव है

बारिश होने को बेताब है

मौसम का यह क्या हिसाब है

बे मौसम बारिश जो हो गई

कितनी फसलें नष्ट हो गई

अन्नदाता की आँखें देखो

आँखें उनकी नम हो गई

मौसम हंसा और मौन हो गया

बीमारियों का जन्म हो गया

एक जाती है एक आती है

इंसा का जिस्म अब

मानो इनका घर होगया

शेष रह गयी सिर्फ दवाएं

आती जाती यह मुस्काएँ

मौसम तब भी पल पल

छिन छिन रंग अपना बस बदले जाये

मौसम की क्या कहे रे मनवा.... पल्लवी

Tuesday 14 February 2023

~वेलेंटाइन डे स्पेशल ~



वात्सल्य की इस तलाश में

एक उम्र के बाद

फिर इसे पाने में

एक उम्र गुज़र जाती है

कभी हम नहीं होते

तो कभी वह छाँव गुज़र जाती है

भाग्यशाली हूँ मैं कि

आज भी मेरे सर पर इनका साया है

प्रार्थना है बस यही

स्वस्थ एवं खुश रहे

वह सदा

जिन्होंने हम पर

सदा ही यह प्यार लुटाया है... पल्लवी

Sunday 5 February 2023

~यह प्रतियोगिता का मेला है ~



यह प्रतियोगिता का मेला है 

मंज़िले सामने है 

हौंसले बुलंद है 

पथ बड़ा कटीला है 

पर जरा संभल के भईया 

यह प्रतियोगिता का मेला है 

किसी के पैर में है जूता 

किसी के पैर में है चप्पल 

तो कोई बिना ही इस सभी के 

चल पड़ा अकेला है पर 

जीतता वही है यहाँ 

जिसकी जेब में धेला है 

हुनर की नहीं है

यहाँ बिसात कोई 

सब धन का ही झमेला है 

पार कर जो यह कांटो का पथ 

जो मंज़िल अपनी पा गए 

जानते हैं वह सहज 

कितनों को उन्होने 

गर्त में ढकेला है 

यह प्रतियोगिता का मेला है .....

पल्लवी  

Tuesday 17 January 2023

दो जोड़ी आँखें

 दो जोड़ी आँखों के बीच

नये प्रस्फुटन का आगमन

खुशियों के सपनों का

मीठा समंदर

परवरिश कि सख्त

किन्तु कोमल दीवारों

के बीच

नन्हे परिंदो की उड़ान

और फल पकने से पहले ही

अचानक

उस मीठे समंदर का,

खारा हो जाना

इससे बड़ी पीड़ा

कि पराकाष्ठा ओर

कोई हो सकती है क्या

यूँ तो दर्द

कि कोई परिभाषा

नहीं होती

मगर

एक फूल के

खिलने से पहले ही

उसका बिखर जाना,

सपनीली आँखों

में उन्ही सपनों कि किरचोँ 

का शूल बन

उन्हीं आँखों में

चुभ जाना

एक असहनीय पीड़ा

को जन्म देता है

क्यूंकि दर्द, कैसा भी हो 

दर्द ही रहता है.

है ना...!

पल्लवी 

Saturday 7 January 2023

यह जरूरी तो नहीं





हर प्रेम कहानी सपनों के जैसी खूबसूरत ही हो
यह जरुरी तो नहीं
हर एक प्रेम कहानी में कोई राजा हो या रानी हो
यह जरुरी तो नहीं
कुछ प्रेम कहानियाँ अधूरी होकर भी पूरी कहलाती है
कई बार प्रेम में धोखा होता है,
दर्द होता, जान भी चली जाती है
और हत्या तक हो जाती है
पर उसका अर्थ यह नहीं कि वैसा प्रेम,
प्रेम नहीं होता
प्रेम कि एक लौ सभी के अंदर जगमगाती है
कभी मंजिल मिल जाती है
तो कभी कभी मंजिल पीछे भी छूट जाती है
कई बार हम ही रास्ता भटक जाते है
और मंजिल आगे निकल जाती है
पर प्यार का जुगुनू तो यदा कदा
कहीं ना कहीं टिम टिमाता ही रहता है
जो शायद ज़िंदा होने की निशानी होती है
प्यार में बोले गए संवाद हमेशा
प्रेम की चाशनी में पगे हुए हों
यह जरुरी तो नहीं
कभी कभी प्यार में नीम की गोली भी खानी पड़ती है
पर इसका अर्थ यह तो नहीं होता
कि प्यार नहीं है अब पहले सा
प्यार तो पहले भी था, अब भी है,
पर उसका सामने बने रहना जरुरी तो नहीं
कभी कभी ज्यादा मिठास भी कीड़े लगा देती है
फिर चाहे वो मिठास भोजन की हो या रिश्तों कि,
स्वस्थ रखना है यदि संबंधों को
और अपने अपनों को तो आँख दिखानी ही पड़ती है
हर प्यार में एक कहानी हो यह जरुरी तो नहीं....पल्लवी

Sunday 1 January 2023

गुलाब 🌹

"अभिनव इमरोज" पत्रिका में प्रकाशित मेरी लिखी यह कविता

आज भी जब पुरानी डायरी के पन्ने पलटती हूँ
कुछ खामोश दस्तावेज़ों कि महक से महक्ति हूँ
माना के हर पन्ने में गुलाब नहीं होते पर
इन लफ़्ज़ों में है खुशबु तेरी सासों कि
के यादों के गुलिस्तान कभी ख़ाक नहीं होते,
के हर किसी कि ज़िन्दगी के हिस्सों में गुलाब नहीं होते
वो जो होते है बहुत खास,वो शब्दों के मोहताज़ नहीं होते
जिनके हिस्से में आते है सिर्फ कांटे
वह लोग भी लाजवाब होते है
के आसान नहीं होता
दिल में आग रखना और होंटों पे गुलाब रखना
यूँ हीं नहीं कोई बन जाता है अपना
डूबती कश्तीयों के अक्सर किनारे आम होते हैं,
कहने को बहुत साधारण पर बहुत ख़ास ओ आम होते हैं
यह वो दिल के रिश्ते है साहब
जहाँ लोग बड़ी शान से बदनाम होते है
यादों के यह मोती कोई आम नहीं होते
कीमत उनकी केवल वही जानता है
जिसके दामन में यह दाग़ नहीं होते
होता है अगर यह मर्ज़ ए आम कोई तो
गुलाब को पाने कि चाह में
यह आशिक यूँ सरे बाज़ार कभी गुलफाम नहीं होते
काँटों पर चलना पड़ता है, रिश्तों में ढालना पड़ता है अग्नि में तपना पड़ता है,
अपने को पाने कि खातिर
जब अपनों से लड़ना पड़ता है और ज़हर भी पीना पड़ता है
मोहोब्बतों के किस्से यूँ ही आम नहीं होते
के हर किसी कि ज़िन्दगी में गुलाब नहीं होते,
वो जो होते है बहुत ख़ास, वो शब्दों के मोहताज़ नहीं होते.....
पल्लवी