Friday 5 October 2012

बदलाव


कभी कहीं पढ़ा था कि बारिश में इन्द्र धनुष के रंग ही तो बरसते है
वरना यूं तो सारी धरती रंग हीन ही नज़र आती है
सच ही तो है,
ज़िंदगी का भी तो कुछ ऐसा ही फलसफ़ा है
आखिर बदलाव ही तो दूसरा नाम है ज़िंदगी का
जो कभी एक सी ना रहकर, हर पल बदलती रहती है
कभी बहा करती है किसी नदी की तरह
तो कभी बहती हवा सी ज़िंदगी,
शायद इसलिए
आज ज़िंदगी के जिस मोड पर मैं खड़ी हूँ
वहाँ से देखो तो सब कुछ बदल चुका है
यहाँ तक के ज़िंदगी के पहले पड़ाव का मंज़र भी,
जिसमें बेटी बनकर जन्म लिया तो
बड़े होते ही मेरे घर के साथ-साथ,
मेरा परिवार ही नहीं,
मेरा नाम तक बदल दिया,
मगर शायद यही काफी न था किस्मत को मेरी
की समय ने फिर करवट ली
पहले तो सिर्फ मेरा शहर ही बदला था
मगर अब तो मेरा देश भी बदल गया
आगे और भी नजाने क्या-क्या बदलना बाकी है
न जाने कितनी शह और मात बाकी हैं
जाने कितनी बारिशों में अब भी मेरे कुछ जज़्बात धुलने बाकी है
गुजरते वक़्त के साथ ऐसा लगा
जैसे ज़िंदगी के चलचित्र पर कोई दृश्य बदल गया
अपना तो अब भी यह आलम है ए खुदा गुज़र रही यूं ज़िंदगी कुछ इस तरह
की तेरे मिलने की आस और तेरे मिलने की प्यास मुझ में अब भी बाकी है ...
.
पल्लवी....          

12 comments:

  1. अपना तो अब भी यह आलम है ए खुदा गुज़र रही यूं ज़िंदगी कुछ इस तरह
    की तेरे मिलने की आस और तेरे मिलने की प्यास मुझ में अब भी बाकी है ...
    सत्य कहा, कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें कभी भी नहीं भुलाया जा सकता।

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  2. बदलाव का नाम ही दूसरी जिंदगी है,,,,,

    RECECNT POST: हम देख न सके,,,

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  3. शायद यह बदलाव नहीं क्रमिक विकास है जो समय के साथ अपने रंग बदलता है .

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  4. very beautiful blog full of emotional poems which I liked very much.Thanks alot for visiting my blog,pl do it regularly and let me know about my creation.My best wishes,kindly let me know about yr book.Regards,
    dr.bhoopendra
    mp
    india

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  5. एक खूबसूरत कोशिश बहुत अच्छी रचना |

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  6. परिवर्तन ही जीवन है,इसे स्वीकार करना ही होता है......सुंदर प्रस्तुति.

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  7. निराशा क्यों झलके ....
    हँसी आवश्यक है !

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  8. मैं भी यही सोचता हूँ पल्लवी जी...कितना कुछ तो बदल चूका है और अभी भी न जाने और कितना बदलना बाकी है...

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  9. अच्छी रचना....

    अनु

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  10. बदलाव जीवन में कई अनुभव भी लाते हैं, धन्यवाद...

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