Friday, 26 January 2024

एक चुप

एक चुप 

सालों का अंतर्द्व्न्द
एक आदत 
और 
तिल तिल मरता मन 
कसमसाती भावनाएं 
पल प्रतिपल 
उठती चितकर 
मौन समंदर उठती हुंकार 
बस एक चुप 
कारण 
अभिव्यक्ति का हनन 
या 
संस्कारों का भार 
एक तीव्र पीड़ा 
काश की बागडोर 
साथ कुछ भी नहीं 
सिवाय मौन के....पल्लवी   
 

10 comments:

  1. वाह! सुन्दर भावाभिव्यक्ति!

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🏼

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  2. बहुत सुंदर सृजन।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद कृप्या संवाद बनाये रखें 🙏🏼🙂

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