Tuesday, 4 April 2023

मौसम की क्या कहे रे मनवा ~

मौसम की क्या कहे रे मनवा

पल पल रंग बदलता है

अभी धूप थी अभी छाँव है

बारिश होने को बेताब है

मौसम का यह क्या हिसाब है

बे मौसम बारिश जो हो गई

कितनी फसलें नष्ट हो गई

अन्नदाता की आँखें देखो

आँखें उनकी नम हो गई

मौसम हंसा और मौन हो गया

बीमारियों का जन्म हो गया

एक जाती है एक आती है

इंसा का जिस्म अब

मानो इनका घर होगया

शेष रह गयी सिर्फ दवाएं

आती जाती यह मुस्काएँ

मौसम तब भी पल पल

छिन छिन रंग अपना बस बदले जाये

मौसम की क्या कहे रे मनवा.... पल्लवी

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