सर्द हवाओं में ठिठुरते एहसास और तुम
इन दिनों बहुत सर्दी है यहाँ,
एकदम गलन वाली ठंड के जैसी ठंड पड़ रही है
जिसमें कुछ नहीं बचता
सब गल के पानी हो जाना चाहता है
जैसे रेगिस्तान में रेत के तले सब सूख जाता है ना
बिलकुल वैसे ही यहाँ की ठंड में भी कुछ नहीं बचता
यहाँ तक के खुद का वजूद भी नहीं,अस्तित्व हीन सी लगने लगती है ज़िंदगी
जिसकी न कोई राह है, न मंज़िल, फिर भी बस चले जा रही है
किसी बर्फ की चट्टान के जैसी ज़िंदगी, जो कतरा-कतरा पिघल रही है
ऐसे में जब कभी घर के बाहर निकलना होता है
तब जैसे इन सर्द हवाओं में मेरे सारे एहसास ठिठुर जाते है
सारे जज़्बात सिकुड़ जाते है
और फिर जब मौसम की ठंडक
धीरे-धीरे किसी बुझते हुए दिये की कप कपाती लौ की भांति
मेरे दिमाग को सुन्न करना आरम्भ करती है
तब मैं भी चुपके से जला लेती हूँ अपने अंदर तुम्हारे नाम की एक सिगड़ी
और डाल देती हूँ उसमें कोयला नुमा जलती हुई कुछ यादें,वादे, मुलाकातें
तब उन यादों,वादों और मुलाकातों की गरमी पाकर
फिर जी उठते है मेरे अंदर के कुछ मरे हुए एहसास मेरे जज़्बात....और तुम
तुम्हारे नाम की सिगड़ी और यादों के कोयले ... शायद इस बार की सर्दी आसांन हो जाए ...
ReplyDeleteलाजवाब बिम्ब और गज़ब के भाव ...
बहुत खूबसूरत ....!!
ReplyDeleteउस एक नाम की गर्माहट बनी रहे ... सस्नेह !
ReplyDeleteयादों के प्रतिमान इतने मजबूत होते हैं कि उसमें मौसम की मार से निरर्थक अनुभव होता व्यक्तित्व भी नया, सुन्दर बन जाता है। मेरे दिमाग को सुन्न करना आरम्भ करती है, वाक्य में (सुन्न्) (आरम्भ) ठीक कर लें।
ReplyDeleteयादों कि गर्मी .......... बहुत बढ़िया |
ReplyDeleteगहरी अभिव्यक्ति
ReplyDelete,बेहतरीन अभिव्यक्ति...!
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behad khoobsurat abhivyakti ...
ReplyDeleteyun to kavita padhate padhte thandhak lagane lagi ......bahut hi sajeev varan apne thandhak ki ki hai ......bs aakhiri pnkti tk pahuchate pahuchate paseene aane shuru ho gaye .........vakai bahut hi sundar abhivykti ke sath lajbab rachana prastut kiya .....aabhar Pallvi ji .
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना...
ReplyDeleteBahut hee gahara bhaav chupa hai is rachana me.....Abhi Hindi ke saare alankar / ras ki definition bhool chukaa hoon..shayad ye Shringar ras ki kavita hai...
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती से ठिठुरते एहसासो का जिक्र किया है..आपने पल्लवी जी..फिर वो तुम्हारे नाम की सिगड़ी कुछ गर्माहट देती है..बेहतरीन रचना..
ReplyDelete........ ठिठुरते एहसास.... सुंदर प्रस्तुतिकरण...बहुत ही बेहतरीन
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteस्मृतियाँ और भाव ऊर्जा देते हैं। सुन्दर कविता।
ReplyDeleteकितनी यादें...कितने ही वादे ,कुछ पूरे,कुछ अधूरे......ढेरों मुलाकातें....
ReplyDeleteउसे शायद पता था तुम सर्दियाँ सह नहीं पातीं.........
अनु
अच्छी कविता |
ReplyDelete.......तुम्हारी नाम की सिगड़ी ............
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना !
नई पोस्ट नेता चरित्रं
नई पोस्ट अनुभूति
ऐसी यादों से जीवन के तमाम दुश्वारियों में भी हौसला मिलता रहता है. सुन्दर रचना.
ReplyDeleteयादों की ऊर्जा काफी होती है एक जडता को हटाने के लिये । अच्छी रचना ।
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteइतना सुन्दर की प्रेम की परिकल्पना से प्रेम हो जाये.....
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