कुछ मत सोचो
न कोई रचना, ना ही कविता
मैं यह सोचूँ
काश के तुम बन जाओ कविता
जब चाहे जब तुमको देखूँ
जब चाहे जब पढ़ लूँ तुमको
ऐसी हो रसपान कविता
हो जिसमें चंदन की महक पर
लोबान सी महके वो कविता
हो जिसमें गुरबानी के गुण
रहती हो गिरजा घर में वो,
प्रथनाओं में लीन कविता
सपनीली आँखों में चमके
तारों सी रोशन हो कविता
हो उदास अगर कोई भी मन
बन मुस्कान उन अधरों पर
देखो फिर मुसकाये वो कविता
भूख से रोते बच्चे को देखकर
झट रोटी बन जाये कविता
माँ की लोरी में घुलकर फिर
मीठी नींद सुलाये कविता
बेटी सी मासूम कविता
पिता का मान सम्मान कविता
कहलाए वो तेरी भी और मेरी भी बन जाये कविता....
कविता कविता कहते कहते ये तो कविता ही बना डाली :-)) .......बढ़िया ।
ReplyDeleteWah!
ReplyDelete
ReplyDeleteबेहतरीन रचना जी, भावपूर्ण रचना के लिए बहुत बहुत बधाई
sundar kavita :)
ReplyDeletekash aise hi ban jati kavita... :) bahut khub... behtareen :)
ReplyDeleteBahut Umda
ReplyDeleteनमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (21 -07-2013) के चर्चा मंच -1313 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeletebest it is
ReplyDeleteअत्यंत सजीव एवं भावपूर्ण रचना ...बहुत बधाई
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसुन्दर और भावप्रणव प्रस्तुति!
ReplyDeleteएक दम दिल से निकली बेहतरीन
ReplyDeleteवाह! आपने तो कविता के कई रूप दिखा दिए।
ReplyDeleteकृप्या यहाँ http://rajeevranjangiri.blogspot.in/ भी पधारें।
असल कविता तो यही होती है जो समय के अनुसार आपसी संबंध बना लेते हैं ... भाव मय रचना ...
ReplyDeleteअंतिम पक्तियां बहुर सुन्दर है
ReplyDeletelatest post क्या अर्पण करूँ !
latest post सुख -दुःख
बहुत ही प्यारी और नेक ख्याल कविता ...!!
ReplyDeleteखुबसूरत मनभावन कविता जीवन के रंगों में रची
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर, ढेरो रूप कविता के,
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे
गुरु को समर्पित
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_22.html
आपकी कविता के मायने ही कुछ और है .... बहुत ही सुन्दर व भावपुर्ण अभिव्यक्ति.... बधाई..
ReplyDeleteबहुत ही उत्तम भाव ! अन्यथा न लें तो एक पाठक पर्सनल व्यू के रूप मे बोलना चाहूँगा कि अच्छी लय में होते हुए भी बीच-बीच मे लय टूट रहा है ।
ReplyDeleteशुभकामनाएँ!
जी ज़रूर दयानन्द जी, इसमें अन्यथा लेने की तो कोई बात ही नहीं है। पाठकों के नज़रिये से ही तो अपनी गलतियों पर ध्यान जाता है और आगे बढ़ने एवं अच्छा लिखने की प्रेरणा मिलती है। इसलिए इस रचना को एक कोशिश का नाम दिया है। आपने मेरे ब्लॉग पर आकर अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी से मेरा मार्गदर्शन किया उसके लिए आभार...उम्मीद है आप से आगे भी संवाद बना रहेगा। धन्यावाद...
ReplyDelete