Saturday 5 January 2013

रेत सा रिश्ता ...


क्यूँ रिश्ता मुझसे अपना तुमने रेत सा बनाया 
क्यूँ आते हो तुम लौट-लौटकर मेरी ज़िंदगी में गये मौसम की तरह 
जानते हो ना, कभी-कभी खुश गवार मौसम भी जब लौटकर आता है 
तो कुछ शुष्क हवायें भी अपने साथ लाता है 
जो लहू लुहान कर दिया करती है न सिर्फ तन बल्कि मन भी  
और तब तो तुम्हारे प्यार की यादों का 
कोमल एहसास भी भर नहीं पाता उन ज़ख़्मों को 
 तब ऐसा महसूस होता है मुझे, जैसे तुमने ही ठग लिया है मुझे
मानो  
 मैं स्तब्ध सी खड़ी हूँ और कोई आकर मेरा सब कुछ लिये जा रहा है मेरे हाथों से 
खुदको इतना जड़ हताश और निराश आज से पहले कभी नहीं पाया मैंने
शायद इसलिए तुमसे बिछड्ने के ग़म ने ही मुझे बेजान सा कर दिया है
की एक खामोशी सी पसरा गयी है मेरे अंतस में
मगर यह कैसी विडम्बना है हमारे प्यार की
कि मुझे इतना भी अधिकार नहीं  
 कि मैं रोक सकूँ उसे   
यह कहकर कि रुको यह तुम्हारा नहीं, जिसे तुम लिये जा रहे हो अपने साथ  
क्यूंकि सच तो यह है कि अब तो मुझसे पहले उसका अधिकार है तुम पर
तुम तो अब मेरी यादों में भी उसकी अमानत बनकर आते हो 
तो किस हक से कुछ भी कहूँ उससे    
इसलिए खड़ी हूँ पत्थर की मूरत बन यूँ ही, अपने हाथों की हथेलियों को खोले 
और वो लिये जा रहा है मेरा सर्वस्व,
यूँ लग रहा है मुझे, जैसे तुम रेत बनकर फिसल रहे हो मेरे हाथों से 
और वो मुझे चिढ़ाता हुआ सा लिए जा रहा है तुमको अपने साथ  
मुझ से दूर बहुत दूर....
फिर कभी न मिलने के लिये   
यह कहते हुए कि मेरे रहते भला तुमने ऐसा सोच भी कैसे
 कि यह तुम्हारा हो सकता है  
तुम से पहले अब  
यह तो मेरा है, मेरा था, और मेरा ही रहेगा हमेशा.... 

13 comments:

  1. ज़िन्दगी की असलियत...

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  2. हर रिश्ते की,हर दर्द की अपनी ही परिभाषा है

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  3. रिश्ते वही अच्छे होते है जिसमे अपनापन और मिठास हो,,,

    recent post: वह सुनयना थी,

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  4. बहुत भावपूर्ण रचना...

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  5. रेत सी फिसलती ज़िन्दगी

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  6. जीवन का असल तो यही है ...
    भावपूर्ण .. सच बयान करती रचना ...

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  7. वाह!
    आपकी यह पोस्ट कल दिनांक 07-01-2013 के चर्चामंच पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  8. gahari anubhuti pathakon ke samane rakh diya hai ....badhai pallvi ji

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  9. bahut sunder aur bhavpurn rachna..............badhai

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  10. वाह बहुत ही सुन्दर।

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  11. खूबसूरती से लिखे एहसास ।

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  12. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..

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