Monday, 5 November 2012

सफर ज़िंदगी का ....


एक लंबी सड़क सी ज़िंदगी 
एक ऐसी सड़क 
जिसे तलाश है अपनी मंज़िल की 
वो सड़क जिसे अपने आप में ऐसा लगता है कि 
कभी तो खत्म होगा यह सफर ज़िंदगी का 
कभी तो मिलेगी मंज़िल 
मगर वक्त का पहिया हरपल यह एहसास दिलाया करता है कि 
एक बार जो चला जाऊन मैं  
तो लौटकर फिर कभी वापस नहीं आता 
पर क्या यही सच्चाई है ? 
नहीं मुझे तो ऐसा नहीं लगता 
ज़िंदगी की सड़कें भले ही कितनी भी लम्बी क्यूँ न हो 
मगर उस सफर के रास्ते में 
उस एक ज़िंदगी के न जाने कितने चक्र 
वक्त के साथ गतिमान रहते हुए घूमते रहते है 
और 
उन चक्रों में गया वक्त भी लौट-लौटकर आता रहता है 
क्यूंकि शायद ज़िंदगी कुछ भी अधूरा नहीं छोड़ती  
उस अंतिम वक्त में भी नहीं  
भले ही यह एहसास क्यूँ न हो सभी के मन के अंदर 
कि अभी तो बहुत से काम बाकी है 
बहुत सी जिम्मेदारियाँ निभाना बाकी है 
अभी अपने लिए तो जिया ही नहीं हमने 
अभी तो उस विषय में सोचना तक बाकी है  
मगर वास्तविकता तो कुछ और ही होती है 
जीवन का लालची इंसान 
जीवन पाने के चाह में ही पूरी ज़िंदगी बिता दिया करता है 
मगर यह नहीं सोच पाता कभी 
की ज़िंदगी अपना चक्र किसी न किसी रूप में पूरा कर ही लेती है 
कुछ अधूरा नहीं छूटता कभी, 
शायद इसी के आधार पर 
ऊपर वाला तय करता है सभी की मृत्यु 
क्यूंकि उसने तो पहले से ही सब तय कर रखा है 
कब, कहाँ, कैसे क्यूँ और किसका इस रंगमंच रूपी संसार से पर्दा उठेगा
और  
एक बार फिर पूरा होगा सफर ज़िंदगी का ......

16 comments:

  1. सच है जीवन पाने की चाह में ही पूरा जीवन बीत जाता है..... सुंदर कविता

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  2. सच को बयान करती रचना सुखद एहसास के साथ . एक बात मेरी माँ कहती हैं कुछ लोग मंजिल तक पहुंचाते हैं उनका मुश्किलों से कोई नाता नहीं होता बस उनकी नियति है पहुचाना तय करना हमारी नियति.
    बहुत खुबसूरत सन्देश देती पोस्ट शुभप्रभात

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  3. ek dam sachhi baat,"kuchh adhura nahin chhotata"

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  4. बेहतरीन भावों का संगम ...

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  5. बहुत सुंदर पल्लवी
    क्या कहने

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  6. आप सभी मित्रों एवं पाठकों का तहे दिल से शुक्रिया....कृपया यूं ही संपर्क बनाये रखें आभार ...

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  7. जीवन जीने की चाह में पता ही नही लगता कि जीवन का चक्र कब पूरा हो गया,,,,

    बहुत बढ़िया उम्दा प्रस्तुति,,,,,पल्लवी जी,,,,
    RECENT POST:..........सागर

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  8. इन्सान जीवन जीने की चाह लिए पूरा जीवन गुजार देता है . लाख टके की बात . जिंदगी को कौन समझ पाया है आज तक, जीवन चक्र तो चलता ही रहता है . सुन्दर .

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  9. यह एक चक्र है जो बार-बार अपने को ही दोहराता है !

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  10. एक चक्र है जीवन ,जो बार-बारअपने को दोहराता है !

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  11. इस जीवन के सफ़र में सभी को चलते जाना है हर पड़ाव को पार करते हर चक्र से निकलते यही सच है भावों को बहुत अच्छे से पिरोया है रचना में बधाई पल्लवी जी

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  12. ज़िंदगी कुछ भी अधूरा नहीं छोड़ती …

    बहुत सुंदर कविता है पल्लवी जी !

    अच्छा लगा लिखा हुआ,
    लेकिन कविता में शब्द और भाव की आवृति कई बार कविता के प्रभाव और प्रवाह को प्रभावित करती है…

    मां सरस्वती और श्रेष्ठ सृजन कराए …
    शुभकामनाओं सहित…
    राजेन्द्र स्वर्णकार

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  13. ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
    ♥~*~दीपावली की मंगलकामनाएं !~*~♥
    ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
    सरस्वती आशीष दें , गणपति दें वरदान
    लक्ष्मी बरसाएं कृपा, मिले स्नेह सम्मान

    **♥**♥**♥**●राजेन्द्र स्वर्णकार●**♥**♥**♥**
    ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ

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