बहुत देर तक चाँद को देखा है कभी
ऐसा लगता है जैसे एक सफ़ेद
चीनी की प्लेट हो और उस
ऐसा लगता है जैसे एक सफ़ेद
चीनी की प्लेट हो और उस
सफ़ेद चाँद की प्लेट
पर ऊपर खड़े
होकर ऊपर से
जब देखा मैंनेधरती को
तो मुझे ऐसा लगा वो चाँद
जिस पर हम खड़े है
वह हमारा वर्तमान है
और वो जो दूर कहीं नीला
सा एक बिन्दु नज़र आरहा है
वह है हमारा अपना अतीत
बहुत ध्यान से नज़रें गाड़ा कर
देखा तो ऐसा लगा
जैसे मन खो गया है
उस अतीत की गहराइयों में कहीं
जब उस अतीत की ऊंची नीची पहाड़ियों
नदियों और झरनो की तरह
पानी बन बह रहे जज़्बातों को देखा
तो उस पानी में
प्यार के सच्चे मोती के
कुछ कण से मिले
जो समय के बहाव के कारण
शायद मेरे हाथों से
फिसल कर वहीं गिर गए थे
मगर शायद हमारी भावनाओं के
समंदर ने उन प्यार के कणों की रक्षा की
तभी वक्त का दरिया भी उन्हे
अपने साथ बहाकर ना लेजा सका
शायद इसलिए
आज इतने बरसों बाद भी मुझे मिले
मेरे सच्चे प्यार के कुछ बिखरे हुए से कण
जिन्हें देखकर एक बार फिर
मेरे दिल से आवाज आई की
प्यार तब भी था, प्यार अब अभी है
क्यूंकि यह वक्त ही है
जिसने हमें जुदा किया था
और आज भी यह वक्त ही है
जिसने यह एहसास जगाया
प्यार कभी नहीं मिटता
और आज भी यह वक्त ही है
जो हमें फिर मिलाएगा
तो अब
अगर वक्त साथ दे तो कुछ बात बने....
nice lines, improving day by day
ReplyDeleteबहूत सुन्दर और सारगर्भित अभिव्यक्ति...वक़्त के सब हैं गुलाम, वक़्त का हर शह पे राज...
ReplyDeleteवाह रे चाँद..... तुझ से क्यों हो जाता है प्यार, तुझ में क्यों दीखता है प्यार...:)
ReplyDeleteबेहतरीन रचना...!!!!!
बहुत सुन्दर ख्याल
ReplyDeletebahut bhaavpoorn abhivyakti.umda khayaal.
ReplyDeleteLajavab kavita...Pallavi ji,apne pyar ko ek naye rang me prastut kiya...prakriti ke sath bhavnaon ka samanjasya..behatareen.
ReplyDeleteHemant
पल्लवी जी नमस्ते बहुत ही सुन्दर कविता बधाई और शुभकामनाएँ |
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना रची है आपने । बधाई । इसी तरह लिखती रहें ।
ReplyDeleteआभार ।
प्रेमभाव को तीनों कालों से बाँधती रचना. बहुत सुंदर.
ReplyDeleteवक़्त साथ ही है ...
ReplyDeletekhoobsurat kalpna ..
ReplyDelete//प्यार के सच्चे मोती के
ReplyDeleteकुछ कण से मिले
जो समय के बहाव के कारण
शायद मेरे हाथों से
फिसल कर वहीं गिर गए थे..
bahut sundar rachna pallavi ji.. chaand to humesha se hi shrangaar ka gehnaa raha hai.. bahut hi achha likha hai .. :)
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ReplyDeleteBahut sundar likha hai aapne :)
ReplyDeleteसुंदर ................बधाई स्वीकारें
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ReplyDeleteसुंदर ................बधाई स्वीकारें
ReplyDeletekalpnaon ka daaman chhod kar vigyan ki dhra par aajaiya jhan chand ab aek anya bhasha men pribhashit hae . vaese aapki kavita behad pyaari hae .
ReplyDeleteगहरे भाव लिए सुन्दर रचना !
ReplyDeleteआभार !
waah ... kya baat....
ReplyDeleteSend Birthday Gifts to India Online
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