सागर नुमा
गहरा एहसास
सागर की बाहों में मचलती लहरें
प्रेमियों के मन में मचलती
हुई भावनायें हो जैसे,
साहिल को छूने के लिए
जैसे मचलती है लहरेंऔर
साहिल की रेत उन लहरों को अपने
अंदर जज़्ब कर लेती है
जैसे आत्मा में प्रेम समा जाता है
तब उस गहराई में जाकर होता है
एक ऐसे सच्चे प्रेम का निर्माण
जैसे सिपीं में
छुपा सच्चा मोती हो कोई
प्रमियों का मन भी,
तो मचलता है वैसे ही ,
बस एक बार अपने पहले प्यार
के पहले स्पर्श के लिए
पहले प्यार का वो
पहला स्पर्श
जो न केवल तन, बल्कि मन पर
भी छोड़ जाता है अपने अस्तित्व
की वो अमिट छाप
जिसे चाहकर भी कोई
कभी भुला नहीं पाता ....
गहन प्रेम की गहन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसच मे इस कविता को जो पढ़ेगा वो कहीं खोए बिना न रह सकेगा।
ReplyDeleteसादर
बिलकुल सही...तभी तो जिस लड़की से मुझे पहला प्यार हुआ था उसे आजतक भुला नहीं पाया हूँ...:D ये बाट और है की उसे अब मैं याद भी नहीं होऊंगा :P
ReplyDeleteप्यार की गहरी अभिव्यक्ति..........
ReplyDeletehaan ye bilkul sahi hai... :)
ReplyDeleteपहले प्यार का वो
ReplyDeleteपहला स्पर्श
जो न केवल तन, बल्कि मन पर
भी छोड़ जाता है अपने अस्तित्व
की वो अमिट छाप
जिसे चाहकर भी कोई
कभी भुला नहीं पाता ... सच है , पर पहला प्यार स्पर्श है या आँखों की जुबानी है या एक तेज धड़कन
क्या कहूँ :) चलो सोच कर बताती हूँ.
ReplyDeleteकविता प्यारी है .
पहले प्यार का वो
ReplyDeleteपहला स्पर्श
बहुत प्यारी भावना .. कौन भूला सकता है भला
पल्लवी, मेरा नज़रिया थोडा ज़ुदा सा है ! मैं, पहला प्यार , दूसरा प्यार तीसरा या दसवाँ जैसी गिनती करने का पक्षधर नही हूँ । प्यार तो झरना है बहता रहता है निरंतर, सबके लिये यकसाँ ! हाँ, यह कहें कि कोपलें जब नयी नयी फूटती हैं और पहले पहल सूरज को निहारती है तो वह छवि चित्त पर अंकित हो जाती है । लेकिन, बाद में उगने वाले हर सूरज को नयेपन के साथ निहारें तो ! वह ताज़गी का अहसास कभी खत्म ही न होगा ! जिन क्षणों में हम प्यार में डूबे होते हैं सिर्फ वे ही क्षण तो जीवन होते हैं ! फिर यह तो सोचो कि कब और किसने रोका है इस अहसास में डूबे रहने से ! काव्य अच्छा है अभिभूत करता है । बहुत दिल से पढा .. डूब कर पढा ! आनन्द आया ! साधुवाद !
ReplyDeleteपहले प्यार का अहसास शब्दों में बयां करना मुश्किल हैं आपने इस प्यारे अहसास को शब्द दे देकर एक तरह से जीवित करने का प्रयास किया है।
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