सही में औरतें बहुत ही बेवकूफ होती है
हजारों ताने उल्हाने, मार पीट सहकर भी उम्मीद का दामन जो नहीं छोड़ पाती यह औरतें
न जाने कितनी बार टूट -टूटकर बिखर जाने के बाद भी खुद को समेट जो लेती हैं यह औरतें
न जाने कहाँ से एक नए अंकुर की तरह हर रोज़ पुनः जन्म लेती हैं यह औरतें
एक नयी आशा के साथ सुबह तो होती है,इनकी किन्तु हर रात फिर टूटती हैं यह औरतें
कभी मानसिक रूप से तो कभी शारीरिक रूप से भी
फिर भी उफ़्फ़ तक नहीं करती यह बेवकूफ औरतें
न जाने क्यूँ जो इन्हें सताता है, इन्हें रुलाता है, वही शक्स इनकी कमजोरी क्यूँ बन जाता है
क्यूँ उसे छोड़कर जी नहीं सकती यह बेवकूफ औरतें
क्यूँ अपना सब कुछ मिटाकर भुलाकर भी उसी के लिए दुआ मांगती है यह औरतें
न जाने क्यूँ दिमाग के बदले दिल से सोचती और जीती हैं यह औरतें
जिसे भी शिद्दत से चाहती हैं अक्सर उसी को खो बैठती हैं
पहले मायका छूट जाता है और फिर औलाद, क्यूंकि पति तो इनका कभी होता ही नहीं
समय के साथ सब कुछ बदल जाता है, नहीं बदलती तो यह बेवकूफ औरतें
गलती से मर भी जाएँ न कोई ऐसी औरत कहीं कभी किसी रोज़
तो ज़रा सी प्यार की नमी पाकर किसी खरपतवार या अमर बेल की तरह फिर उग आती हैं यह बेवकूफ औरतें
और फिर दौहराती है अपना वही प्यार और मोहब्बत करने का वही अंदाज़ ओ इतिहास
पता होते हुये भी कि अंजाम ए मोहब्बत क्या होगा
बड़ी शिद्दत से मोहब्बत निभाती हैं यह बेवकूफ औरतें
Bewakoof kahan woh toh mahaan hueen.
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 17 अप्रैल 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहृदय को स्पर्श करती पंक्तियाँ।
ReplyDeleteत्याग व बलिदान की प्रतिमा हैं, ये औरतें
ईश्वर की बनाई अनुपम रचना हैं, ये औरतें
दिल में गहरी टीस भर जाती हैं ये पंक्तियाँ ... सच में प्रेम करना भी नारी ने ही सिखाया है जग को ...
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना. साधुवाद
ReplyDeleteSudhaa1075.blogspot.com
बहुत खूबसूरत रचना. साधुवाद
ReplyDeleteSudhaa1075.blogspot.com
दीपोत्सव की अनंत मंगलकामनाएं !!
ReplyDeleteऔरत ही नही जान पाई वो क्या है ?बहुत अच्छा लगा सब पढ़ना ।सार्थक पोस्ट
ReplyDeleteHappy Valentines Gift Ideas Online
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