Tuesday 21 February 2012

फलसफ़ा ज़िंदगी का


यूं तो शायद आज आपको मेरी यह रचना पढ़कर 
ऐसा लगे जैसे यह तो वही बात हुई "ढ़ाक के तीन पात" 
मगर क्या करू यही सच है, समंदर की लहरों 
और साहिल से शुरू हुआ यह अभिव्यक्ति का कारवां 
आज फिर समंदर पर ही आ गया है 
कोशिश तो बहुत की मैंने ,की इस समंदर से निकल कर
कुछ लिखूँ मगर मेरे मन को मेरे आँखों को शायद 
और कोई नज़ारा रास ही नहीं आया कहीं इसलिए 
आज एक बार फिर 
समंदर और इंसानी भावनाओं से जुड़ी 
कुछ अपने आप से की हुई बात, कुछ मूलाकाते...
पूर्णिमा की रात जब चाँद आपने पूरे शबाब पर होता है 
तब इस समंदर की लहरे भी धारण कर लिया करती है
आवरण श्वेत चाँदी की मीन का जो मचल-मचल कर 
स्वागत कर रही होती हैं उस पूनम के चाँद का  
क्यूंकि उस चाँद की चंद किरणों ने दिया है नव जीवन उन लहरों को 
खुलके जश्न मनाने का, के तभी बिना किसी आहट  के 
धीरे से रात के आँचल से निकल 
जब सूर्य फैला देता है अपनी स्वर्णिम किरणे उन्हीं 
मतवाली लहर नुमा मीनो पर तो जैसा अचानक की बदल 
जाता है सारा नज़ारा और वो श्वेत चाँदी की मीन सहसा  
बदल जाती है सोने की मीन मे 
कितना अदबुद्ध होता है यह मंज़र जैसे यह लहरे लहर न रहकर 
मीन नज़र आने लगती है जैसे इंसान का मन पल में 
परिस्थिति के मुताबिक खुद को बदल ही लेता है  
ठीक वैसे ही यह लहरे रात दिन एक नया आवरण ओढ़
बहलालीय करती है अपना मन 
या शायद उन चाँद और सूरज का मन  
और देखा देती है एक ही पल में वो सारा नज़ारा वो सारे मंज़र 
इंसानी ज़िंदगी के, कभी आवेग 
तो कभी अलहड़ जवानी यह पानी की रवानी
कुछ गहरे अहसास तो कुछ छोड़े हुए अनमोल पल 
समंदर की गोद से निकाला हुआ कोई सच्चा मोती 
हो जैसे सच्चा प्यार का कोई अंश कभी चाँदी तो कभी 
सोना कभी मोती ,तो कभी लहरों की गूंज में 
गूँजता सन्नाटा हो जैसे किसी के मन को अंतमर्थन 
और भी नजाने क्या-क्या छुपा है सागर किनारे  
जिसे ढूँढने और समझ ने 
में ही गुज़र जाती है तमाम ज़िंदगी 
और फिर भी समझ नहीं पाते लोग फलसफा जिंदगी का....     

6 comments:

  1. जिसे ढूँढने और समझ ने
    में ही गुज़र जाती है तमाम ज़िंदगी
    और फिर भी समझ नहीं पते लोग फलसफा जिंदगी का....
    अनुपम भाव संयोजन लिए ...उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति ।

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  2. जीवन का यही फलसफा है...
    बेहतरीन प्रस्तुति,...अनुपम भाव सुंदर अभिव्यक्ति ....

    MY NEW POST ...काव्यान्जलि...सम्बोधन...

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  3. जिंदगी का फलसफा कौन समझा है भला
    भाव मुखरित

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  4. यही होता है जीवन ... सुंदर रचना

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  5. बहुत अच्छी लगी आपकी लेखनी। पहली बार आया, सुन्दर प्रविष्टि। धन्यवाद

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  6. सच में जीवन का फलसफ़ा समझना कहाँ इतना आसान है...बहुत सुंदर

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