क्यूँ अक्सर यही होता है
पीछे वजह होती है तेरे भूल जाने की
क्यूँ तुझे कुछ नहीं याद होता है
क्यूँ हर चीज़ याद रह जाती है मुझे
जिस-जिस में तू शामिल होता है,
चाहे हो वो पहले प्यार की पहली मुलाक़ात ,
या हो इज़हारे मोहोब्बत का दिन ,
जब कुछ इज़हार हुआ था
शायद हमको प्यार हुआ था
और जब विवाह के पवित्र बंधन में बंध
दो से एक हुए थे हम,
यहाँ तक कि जब वही विवाह का बंधन,
बंधन बना गया था हमारे लिए ,
तब से लेकर आज तक
हर छोटी बड़ी बात, वो प्यारे से एहसास,
कुछ अनछुए जज़्बात
आज कहा खो गए वो पल
जब दिल में मची है हलचल,
जब उठ रहीं हैं मन के समंदर में
कुछ भूली बिसरी यादों की लहरें
जो दे रही हैं दस्तक
मेरी ज़िंदगी में ठहरे हुए तूफान को
, और कह रहीं है तुम से कि बस
एक बार खोल दो तुम अपने मन के द्वार को
और साथ ले जाने दो मुझे
तुम्हारे अंदर की सारी कड़वाहट,
मगर तुम हो जो खोलना ही नहीं चाहते
अब अपने मन के वह द्वार
शायद इसलिए
मैं जज़्ब कर लेती हूँ
उन लहरों का खरा पानी अपनी आँखों में
यह आस लिए कि शायद
मेरी उन नाम आँखों को देखर फिर याद आ जाये तुम्हें
वो नाम, वो चहरा, वो बातें, वो मुलाकातें
जिसे देखकर टूट जाये शायद
तुम्हारे मन के कमरे की वो दीवार
और बेह जाये वो भावनाओं का
समंदर फिर एक बार
सिर्फ मेरे लिए .....
बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteVery nice thought Pallavi ...
ReplyDeletenice n thoughtful..............
ReplyDeletepyaar hi sabkuch deta hai
ReplyDeletebhavpoorn ,sunder rachna......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है आपने
ReplyDeleteमन के सागर में
ReplyDeleteये कैसा तूफ़ान है
सब बहा ले जाने का
उठता उफान है ..
बहुत अच्छी प्रस्तुति
सीधे सीधे जीवन से जुड़ी रस कविता में नैराश्य कहीं नहीं दीखता । एक अदम्य जिजीविषा का भाव कविता में इस भाव की अभिव्यक्ति हुई है ।
ReplyDeleteऔर बेह जाये वो भावनाओं का
ReplyDeleteसमंदर फिर एक बार
सिर्फ मेरे लिए ..... बहुत अच्छी प्रस्तुति.
जीवन का चित्र जिसके रंगों की नमी सदा सूखने की प्रतीक्षा ही करती है,वाह !!!
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण एहसासों में डूब कर लिखी है !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति !
भावप्रधान रचना
ReplyDeleteदिल कि गहराइयों से निकली सुंदर रचना.
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