Wednesday, 7 December 2011

यादें


जीवन के इस मोड़ पर 
आज भले ही तुम 
मुझे ना पहचानो या 
पहचान कर भी 
अंजान बन जाओ 
 क्यूंकि शायद आज
  इस बेरहम समाज के खोखले बंधनों
 ने तुम्हें मजबूर कर दिया है
खुद से एक अजनबी की ज़िंदगी
जीने के लिए
जिसके चलते
 तुम्हारे
जीवन में मेरा कोई अस्तित्व
ही नहीं बाकी रहा है अब,  
तुमने भले ही,
 मिटा दिया हो मेरे वजूद को 
अपनी ज़िंदगी से
हमेशा के लिए 
जैसे रेत पर लिखे नाम को 
को समंदर की लहर मिटा जाती है 
मगर मेरे मन रूपी समंदर में 
 तुम्हारे साथ 
गुज़ारे हुए लम्हों की रूमानी लहरें  
 आज भी
 उसी अंदाज़ में उठा करती है
जैसे मचल जाते हैं किनारे साहिलों को छूने के लिए  
और मैं उन लहरों में,
 अपनी यादों की कश्ती लिए 
बस डूबती 
चली जाती हूँ। ....  

13 comments:

  1. आपका पोस्ट मन को प्रभावित करने में सार्थक रहा । बहुत अच्छी प्रस्तुति । मेर नए पोस्ट ' आरसी प्रसाद सिंह ' पर आकर मेरा मनोबल बढ़ाएं । धन्यवाद ।

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  2. तुम्हारे साथ
    गुज़ारे हुए लम्हों की रूमानी लहरें
    आज भी
    उसी अंदाज़ में उठा करती है
    जैसे मचल जाते हैं किनारे साहिलों को छूने के लिए
    और मैं उन लहरों में,
    अपनी यादों की कश्ती लिए
    बस डूबती
    चली जाती हूँ। ....

    वाह क्या बात है !

    अभी तक तो आपके लेख पढ़ते थे और अब कविताएं भी गजब ढा रही हैं :)

    बेहद खूबसूरत कविता।

    सादर

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  3. कभी न खत्म होने वाला अहसास...

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  4. एक निवेदन
    कृपया निम्नानुसार कमेंट बॉक्स मे से वर्ड वैरिफिकेशन को हटा लें।
    इससे आपके पाठकों को कमेन्ट देते समय असुविधा नहीं होगी।
    Login-Dashboard-settings-comments-show word verification (NO)

    अधिक जानकारी के लिए कृपया निम्न वीडियो देखें-
    http://www.youtube.com/watch?v=L0nCfXRY5dk

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  5. मन की भावनाओ को बहुत ही खूबसूरती से
    पिरोया है शब्दों मे ..आभार

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  6. This comment has been removed by the author.

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  7. कल 08/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  8. This comment has been removed by the author.

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  9. यशवंत जी ममता जी,एवं अर्चना आप सभी का हार्दिक धन्यवाद... कृपया यूं हीं संपर्क बनाये रखें...

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  10. कहा जाता है कि जो प्रेमभाव में डूबता है वही पाता है. आपके भीतर की कवियित्री का रूप समाने आया है. शुभकामनाएँ.

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  11. तुम्हारे साथ
    गुज़ारे हुए लम्हों की रूमानी लहरें
    आज भी
    उसी अंदाज़ में उठा करती है
    जैसे मचल जाते हैं किनारे साहिलों को छूने के लिए
    और मैं उन लहरों में,
    अपनी यादों की कश्ती लिए
    बस डूबती
    चली जाती हूँ। ....

    bahut sundar

    www.poeticprakash.com

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  12. तुम्हारे साथ
    गुज़ारे हुए लम्हों की रूमानी लहरें
    आज भी
    उसी अंदाज़ में उठा करती है
    वाह ...बहुत खूब ।

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