इंतज़ार
भला क्या होता है इंतज़ार
वो जो कभी ख़त्म ही न हो
वही होता है न इंतज़ार ........
जो कभी किसी का ख़त्म
न हुआ है, न होगा कभी
वही होता है, ना इंतज़ार
कभी मीठा, तो कभी
खट्टा लगता है,
इंतज़ार,
जैसे नदी को सागर
से मिलने का इंतज़ार,
सूखी धरती को, बारिश का इंतज़ार,
जैसे भूखे को रोटी का,
प्यासे को पानी का,
गरीब को लक्ष्मी का,
और न जाने कितने ऐसे इंतज़ार है
जिनका कभी अंत होकर भी अंत नहीं होता
एक ख़त्म तो अगले ही पल
दूसरा शुरू हो जाता है इंतज़ार,
ज़िंदगी का दूसरा
नाम ही हो,जैसे इंतज़ार,
इंतज़ार के क्षणों में
वक्त रुक सा जाता है
जैसे ऊपर से शांत दिखने वाला
सागर अपने अंतस में हो
रही छटपटाहटों को छुपाये हुए शांत
नज़र आता है
ठीक वैसे ही शायद हमारे
अंतस मन में उठ रही उथल पुथल
को भी हम अपने चहरे पर लगाकर
एक अनचाही सी मुस्कान
अपने अंदर छुपाये
रहते है, अपनी ज़िंदगी में
आने वाले हर-एक छोटे बड़े पलों का
इंतज़ार ...
इंतज़ार करने का अपना आनंद है।
ReplyDeleteबेहतरीन कविता।
सादर
प्रतीक्षा की घड़ीयाँ अनूठी होती है...बहुत ही सुंदरता से शब्दों को रंग दिया है...विरह का रंग...सुंदर।
ReplyDeleteना खत्म होने वाला इंतज़ार!!
ReplyDeletehar pal tadpata hai ye intezaar
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा है बैसे हमने भी इंतजार पैर लिखा है आप मन चाहे तो देखे
ReplyDeletekyun nahi zarur aap link send kar dijiye...
ReplyDeleteइंतज़ार - पूरी ज़िन्दगी के ख़्वाबों की
ReplyDeleteअच्छा है जी..
ReplyDeleteआगे की कविता का है इंतज़ार!!! :)
इंतज़ार-दर-इंतज़ार बनती है ज़िंदग़ी...
ReplyDeleteबहुत खूब कहा है आपकी कविता ने....
Sach me Pallavi ji,intajaara kaa apanaa alaga aananda hotaa hai...kuchh intajaara ke pal jald bita jaate hain kuchh jayaada ....bahut khubasuuratii se aapane ek amuurta vishhay ko kavitaa men baandhaa hai...
ReplyDeleteHemant
ज़िंदगी भर किसी न किसी का इंतज़ार ही तो रहता है ... बहुत सार्थक विश्लेषण किया इंतज़ार का ..
ReplyDeleteज़िंदगी का दूसरा
ReplyDeleteनाम ही हो,जैसे इंतज़ार,
....बहुत सच कहा है...ज़िंदगी केवल एक इंतज़ार बन् कर रह जाती है..बहुत सुंदर प्रस्तुति..
वो जो कभी ख़त्म ही न हो
ReplyDeleteवही होता है न इंतज़ार ........
ये दो पंक्तियां बहुत कुछ कहती हैं।
संजय भास्कर
आदत...मुस्कुराने की
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
इंतज़ार के क्षणों में
ReplyDeleteवक्त रुक सा जाता है
जैसे ऊपर से शांत दिखने वाला
सागर अपने अंतस में हो
रही छटपटाहटों को छुपाये हुए शांत
नज़र आता है
बहुत सुन्दर भाव लिए हुए सुन्दर पंक्तिया..
शुभकामनायें...
वाह ...बहुत बढि़या।
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