Friday, 30 August 2024

आँखें ~👁️👁️

आँखें जो बिना तलवार ही घायल करने का हुनर रखती है, जो जानना हो कभी किसी भी स्त्री को तो पढ़ो उसकी आँखें...! 

उसकी आँखों में ही छिपे होते हैं उसके सभी मनोभाव 

ध्यान से देखोगे तो देख पाओगे

जो जुबां कह नहीं पाती वो सच बोलती है आँखें...!

कोई चाहे ना चाहे, राजे दिल खोलती है आँखें...!!

स्त्री जीवन की कमी, उसके मन का खालीपन 

या फिर उसके जीवन की सफलता का उल्लास 

उसका अहम् या फिर उसके मन में छिपी कोई आस 

जो वो हुई बेहद ही खूबसूरत तो तुम्हें दिख सकता है उसका घमंड भी

जो ना भी वो हुई सुंदर तो क्या हुआ...?

चाहत तो उसकी तब भी वही ही रही

क्यूंकि सुंदर दिखना, हर स्त्री की एक बड़ी चाहत जो होती है...! 

जिसके लिए ना जाने किए जाते हैं कितने ही प्रपंच....!!

रंग को हल्का किया जाता है, बालों को रंग दिया जाता है, 

धंस गयी हो जो आँखें भले ही

पर उनमें भी काजल नुमा कालिख को भर दिया जाता है!

सूखे बेरंग होंठों को भी नकली रंगत से रंग दिया जाता है...!!

इस एक कमी को भरने के लिए

ना जाने क्या कुछ नहीं किया जाता है...!!

लेकिन तब भी काजल की अंधीयारी ग़ालियों से सच बोलती है आँखें

दिल में जो छिपे हैं वह राज खोलती हैं आँखें...!!

जिस किसी के जीवन की जो कमी होती है.

जुबाँ चाहे कुछ बोले ना बोले पढ़ने वाला मिले तो सच बोलती हैं आँखें....!!!


पल्लवी